स्कन्द षष्टी व्रत कल, संतान के सभी कष्टों को दूर करने के लिए ऐसे करें कार्तिकेय जी की पूजा

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाता है। इस दिन मां पार्वती और शिव जी के पुत्र कार्तिकेय की पूजा की जाती है। कुमार कार्तिकेय का नाम स्कंद भी है। इसलिए इस स्कंद षष्ठी के नाम से जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को यह व्रत रखा जाता है। इस व्रत को संतान षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। दक्षिण भारत ने इस व्रत का काफी अधिक महत्व है। माना जाता है कि स्कंद षष्ठ का व्रत का प्रारंभ चैत्र, अश्विन, कार्तिक की षष्ठी से करना शुभ होता है। जानिए स्कंद षष्ठी व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

स्कंद षष्ठी व्रत का शुभ मुहूर्त

तिथि- 7 अप्रैल 2022, गुरुवार

षष्ठी तिथि प्रारंभ- 6 अप्रैल शाम 6 बजकर 04 मिनट से शुरू

षष्ठी तिथि समाप्त- 7 अप्रैल शाम 8 बजकर 32 मिनट तक

स्कंद षष्ठी व्रत की पूजा विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें और भगवान कार्तिकेय का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प ले लें। इसके बाद पूजा घर में जाकर विधिवत तरीके से पहले भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। इसके बाद कार्तिकेय जी की पूजा करें। सबसे पहले थोड़ा सा जल अर्पित करें। इसके बाद पुष्प, माला, फल, मेवा, कलावा, सिंदूर, अक्षत, चंदन आदि लगाएं। फिर अपनी श्रद्धा के अनुसार भोग लगाएं। अंत में दीपक-धूप करके मंत्र का जाप करें और फिर आरती कर लें।

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