मुसलमानों और ईसाइयों को भी आरक्षण की सुविधा?

डॉ वेदप्रताप वैदिक

आजकल सर्वोच्च न्यायालय में इस मुद्दे पर बहस चल रही है कि भारत के मुसलमानों और ईसाइयों को भी आरक्षण की सुविधा क्यों न दे दी जाए? जो आदिवासी और अनुसूचित लोग अपना धर्म-परिवर्तन करके ईसाई या मुसलमान बन गए हैं, उनमें से ज्यादातर लोग गरीब, अनपढ़ और मेहनतकश हैं। उन्होंने क्या पाप किया है कि उन्हें आरक्षण से वंचित रखा जाए? धर्म के आधार पर यह भेदभाव तो बिल्कुल अनुचित है। संविधान जब बना तो इसमें सिर्फ उन्हीं अनुसूचितों और आदिवासियों को आरक्षण देने का प्रावधान था, जो हिंदू हैं लेकिन 1956 में सिखों और 1990 में बौद्धों को भी इसमें जोड़ लिया गया लेकिन अब धारा 341 कहती है कि उक्त धर्मों के बाहर जो भी है, उसे आरक्षण नहीं दिया जाएगा। इससे बड़ा कुतर्क क्या हो सकता है? जो जैन, मुसलमान, ईसाई या यहूदी हो गया या नास्तिक बन गया, क्या वह भारतीय नहीं रह गया? मैं तो यह मानता हूं कि धर्म या मजहब बदलने से आदमी की जात नहीं बदलती। इसका प्रत्यक्ष अनुभव मुझे अफगानिस्तान और पाकिस्तान के मुसलमान मित्रों के बीच कई बार हो चुका है। जातीय आधार पर आरक्षण देना तो जहरीला है ही, यदि वह धार्मिक आधार पर दिया या न दिया जाए तो वह और भी बुरा है। कांग्रेस ने पहले तो जातीय आधार पर आरक्षण दिया। उसका लक्ष्य लोगों का भला करना ही था लेकिन वह नाकाम सिद्ध हुआ। एक नया श्रेष्ठिवर्ग उठ खड़ा हुआ। मुट्ठीभर लोगों को उनकी योग्यता के नहीं, जन्म के आधार पर कुर्सियां मिल गईं। इसके बावजूद कांग्रेस सरकार ने पिछले शासन काल में धर्म के नाम पर भी थोड़ा-बहुत आरक्षण शुरु कर दिया। इसके कारण अनुसूचितों और आदिवासियों के आरक्षण में कमी आ गई, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने 50 प्रतिशत आरक्षण को ही वैध माना है। यह आरक्षण आरक्षितों की भलाई के लिए कम, उनके थोक वोटों के लिए ज्यादा दिया जाता है। द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाकर भाजपा ने आदिवासियों पर तो डोरे डाल ही दिए हैं, अब वह अरब और ईसाई राष्ट्रों में अपनी छवि चमकाने के खातिर मुसलमानों और ईसाइयों के लिए भी आरक्षण की चूसनी लटका दे तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। शायद इसीलिए उसने अब इस प्रश्न पर विचार करने के लिए एक आयोग बनाने का निश्चय किया है। भारत के लिए यह बहुत ही खतरनाक निर्णय साबित हो सकता है। भारत को यदि हमें एक सुदृढ़ राष्ट्र बनाना है तो लोगों को जाति और धर्म के भेदभाव में उलझाना बंद करना होगा। सरकारी नौकरियों में आरक्षण बिल्कुल बंद करना होगा। केवल शिक्षा में सिर्फ जरुरतमंदों को जाति और धर्म के भेदभाव के बिना आरक्षण और यथासंभव सुविधाएं देनी होंगी।

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.
Back to top button