भारत सरकार के शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा चलाए गए स्मार्ट सिटी मिशन का समापन कल, अधूरे प्रोजेक्ट्स

नई दिल्ली
भारत सरकार के शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा चलाए गए स्मार्ट सिटी मिशन का समापन 31 मार्च 2023 को हो रहा है। यह मिशन, जो जून 2015 में शुरू हुआ था, अब 100 शहरों को कवर करने के लिए निर्धारित था, लेकिन 10 सालों में तीन बार डेडलाइन बढ़ाने के बावजूद केवल 16 शहरों में ही मिशन के तहत सभी प्रोजेक्ट्स पूरे हो पाए हैं। बाकी 84 शहरों में कई प्रोजेक्ट अधूरे रह गए हैं। इस मिशन में 14 हजार करोड़ से अधिक का निवेश किया गया था, लेकिन बड़े हिस्से में काम समय पर पूरा नहीं हो सका।
अधूरे प्रोजेक्ट्स की स्थिति:
केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि स्मार्ट सिटी मिशन को अब आगे बढ़ाया नहीं जाएगा और न ही इसे किसी अन्य नाम या स्वरूप में फिर से लागू किया जाएगा। शहरी मामलों के मंत्रालय ने संसद में बताया कि मिशन के तहत काम पूरा करने में कई समस्याएं आईं। पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों में काम की गति धीमी रही, मुख्य रूप से एजेंसियों की पहचान में देरी और भूमि अधिग्रहण में समस्याओं के कारण। इसके अलावा कई शहरों में अधिकारियों के तबादले भी प्रोजेक्ट्स की रफ्तार को प्रभावित कर रहे थे।
कौन से राज्य और शहर प्रभावित हुए:
स्मार्ट सिटी मिशन में महाराष्ट्र सबसे प्रभावित राज्य रहा, जहां 1898 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट अधूरे रह गए। इसके बाद बिहार में 1138 करोड़ और उत्तर प्रदेश में 772 करोड़ के प्रोजेक्ट पूरे नहीं हो सके। बंगाल के कोलकाता शहर में 618 करोड़ रुपये के छह प्रोजेक्ट अधूरे रहे। इसके अतिरिक्त धर्मशाला में 200 करोड़, सतना में 259 करोड़, पटना में 383 करोड़, मुजफ्फरपुर में 340 करोड़ और बिहारशरीफ में 306 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट भी अधूरे रहे।
अधूरे प्रोजेक्ट्स की संख्या और शहरों की स्थिति:
स्मार्ट सिटी मिशन के तहत पूरे देश में 100 शहरों को चयनित किया गया था, जिनमें 8058 प्रोजेक्ट्स प्रस्तावित किए गए थे। इनमें से 7491 प्रोजेक्ट्स यानी 93 फीसदी प्रोजेक्ट्स पूरे हुए हैं। हालांकि, 567 प्रोजेक्ट्स 14,357 करोड़ रुपये के अधूरे रह गए हैं। शहरों में जिनकी प्रगति सबसे अच्छी रही, उनमें चंडीगढ़, इंदौर, चेन्नई, अहमदाबाद, राजकोट, बैंगलोर, शिवमोगा, पिंपरी-चिंचवाड़, सोलापुर, भुवनेश्वर और लखनऊ शामिल हैं, जहां 1-1 प्रोजेक्ट बाकी रह गए। वहीं, गुवाहाटी, गांधीनगर, ठाणे, कोहिमा, राउरकेला, तंजापुर, तिरुनेलवेली, तिरुप्पुर, वेल्लोर, कानपुर, मुरादाबाद और प्रयागराज जैसे शहरों में 2-2 प्रोजेक्ट अधूरे रह गए हैं।
केंद्र सरकार की भूमिका और वित्तीय स्थिति:
केंद्र सरकार ने इस मिशन के लिए कुल 48 हजार करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया था, जिसमें से 47,425 करोड़ रुपये जारी किए गए। इन जारी किए गए फंड्स में से 45,506 करोड़ रुपये खर्च किए गए। हालांकि, स्मार्ट सिटी मिशन के तहत किए गए प्रोजेक्ट्स में केवल 93 प्रतिशत काम ही समय पर पूरा हो सका है, जबकि बाकी के 7 प्रतिशत प्रोजेक्ट्स अधूरे रह गए। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 100 शहरों के लिए निर्धारित लक्ष्य का 93 प्रतिशत ही कार्य पूरा हो सका। हालांकि यह मिशन अपनी पूरी क्षमता के अनुसार सफल नहीं रहा, लेकिन जिन शहरों में कार्य पूरी गति से हुआ, वे इस मिशन को भविष्य के लिए एक सीख के रूप में देख सकते हैं। इस मिशन से जुड़े अधूरे प्रोजेक्ट्स को लेकर अब सवाल उठते हैं कि क्या सरकार भविष्य में इन प्रोजेक्ट्स को पूरा करेगी या यह पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा।