राजस्थान-नेता प्रतिपक्ष जूली ने नौ जिले खत्म करने पर सरकार को घेरा, ‘सदन से लेकर सड़क तक आंदोलन करेंगे’

अलवर।

राजस्थान सरकार ने शनिवार को 9 नए जिलों को समाप्त कर दिया। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इसे लेकर सरकार पर हमला बोला। जूली ने कहा कि इसी वर्ष अगस्त में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लद्दाख जैसे छोटे केंद्र शासित प्रदेश में 5 नए छोटे जिलों की घोषणा की थी। जबकि, राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य है, वहां भाजपा की सरकार ने 9 जिलों को समाप्त कर दिया।

यह फैसला निंदनीय और जनविरोधी है। कांग्रेस पार्टी इस निर्णय का कड़ा विरोध करती है और आने वाले दिनों में सदन से लेकर सड़क तक आंदोलन करेगी।

समिति की रिपोर्ट पर बनाए गए थे जिले
टीकाराम जूली ने बताया कि जिलों के गठन का आधार कोई राजनीतिक नहीं, बल्कि वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रामलुभाया की अध्यक्षता में 21 मार्च 2022 को बनाई गई समिति की रिपोर्ट थी। इस समिति को दर्जनों जिलों से प्रतिवेदन प्राप्त हुए थे। इन्हीं प्रतिवेदनों का परीक्षण कर समिति ने अपनी रिपोर्ट दी, जिसके आधार पर नए जिलों के गठन का निर्णय किया गया।

राजस्थान में नए जिलों की आवश्यकता
जूली ने कहा कि यह कहना पूरी तरह गलत है कि राजस्थान में नए जिलों की आवश्यकता नहीं है। मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ के अलग होने के बाद राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य बन गया, लेकिन प्रशासनिक इकाइयों का पुनर्गठन उस अनुपात में नहीं हुआ। राजस्थान से छोटा होने के बावजूद मध्य प्रदेश में 53 जिले हैं। नए जिलों के गठन के बाद राजस्थान में प्रत्येक जिले की औसत आबादी 15.35 लाख और क्षेत्रफल 5268 वर्ग किलोमीटर हो गया था। इसके विपरीत, जिलों के गठन से पहले औसत आबादी 35.42 लाख और क्षेत्रफल 12,147 वर्ग किलोमीटर था। छोटी प्रशासनिक इकाइयों से शासन-प्रशासन की पहुंच बेहतर होती है और सुविधाओं एवं योजनाओं की डिलीवरी प्रभावी रूप से सुनिश्चित की जा सकती है।

भाजपा का निर्णय गलत
नेता प्रतिपक्ष ने भाजपा सरकार द्वारा जिलों को छोटा होने का तर्क देकर समाप्त करने को अनुचित बताया। उन्होंने कहा कि गुजरात, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में कई ऐसे जिले हैं जिनकी आबादी राजस्थान के प्रस्तावित जिलों से भी कम है। जैसे, गुजरात के डांग जिले की आबादी मात्र 2.25 लाख है, जबकि हरियाणा के पंचकुला और पंजाब के मलेरकोटला की आबादी भी 5-6 लाख के आसपास है। जूली ने भाजपा के 2007 के प्रतापगढ़ जिले के निर्माण का उदाहरण देते हुए कहा कि परिसीमन के बावजूद भी वहां केवल दो विधानसभा क्षेत्र हैं। यह तर्क कि एक जिले में तीन से अधिक विधानसभा क्षेत्र होने चाहिए, पूरी तरह से निराधार है।

दूरी का तर्क भी विरोधाभासी
नेता प्रतिपक्ष ने जिलों की समीक्षा के लिए बनाई गई समिति पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि समिति के अध्यक्ष पूर्व आईएएस अधिकारी ललित के पंवार लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में इस निर्णय में राजनीतिक दबाव की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा दी गई दूरी का तर्क भी विरोधाभासी है। डीग, जो भरतपुर से केवल 38 किलोमीटर दूर है, उसे जिला बनाए रखा है, लेकिन सांचौर, जो जालोर से 135 किलोमीटर दूर है, और अनूपगढ़, जो गंगानगर से 125 किलोमीटर दूर है, उन्हें समाप्त कर दिया गया।

निर्माण के लिए बजट भी दिया था
जूली ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने न केवल नए जिलों की घोषणा की थी, बल्कि वहां कलेक्टर, एसपी समेत जिला स्तरीय अधिकारियों की नियुक्ति की थी और नए कार्यालयों के निर्माण के लिए बजट भी दिया था। भाजपा सरकार के इस अदूरदर्शी फैसले से जनता में आक्रोश और निराशा का माहौल है। जनता से अपील की है कि वह भाजपा सरकार की गलत नीतियों का जवाब वोट के माध्यम से दे।

India Edge News Desk

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