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डिप्टी सी एम को लेकर अटकलें तेज समीकरण साधने की तैयारी (मनोज बाबू चौबे)

राज्य के सूबे में लगातार दो दशक से सत्ता में काबिज भाजपा और सत्ता से दूर रही कांग्रेस के इस बार सत्ता में आते ही डिप्टी सीएम बनाकर जातीय व क्षेत्रीय समीकरणों को साधने की अटकलों का बाजार गर्म है।

भोपाल: राज्य के सूबे में लगातार दो दशक से सत्ता में काबिज भाजपा और सत्ता से दूर रही कांग्रेस के इस बार सत्ता में आते ही डिप्टी सीएम बनाकर जातीय व क्षेत्रीय समीकरणों को साधने की अटकलों का बाजार गर्म है।
आगामी 3 दिसम्बर को सूबे की मालिक जनता किसको जीत का मुकुट पहनाएगी इसका दम दोनों राजनीतिक दल डंके की चोट पर नहीं भर पा रहे हैं।

तमाम सर्वे की चुनाव बाद रिपोर्ट ने अपने-अपने दावे किये हैं, जिसके चलते असमंजस के हालात बने हुए हैं

फिलहाल राज्य में किसके सिर पर जीत का सेहरा बंधेगा यह तो 3 दिसंबर को तय होगा, लेकिन इसके पहले सूबे में डिप्टी सीएम की अटकलें तेज हो गई है। दो दशक के बाद एक बार फिर उप मुख्यमंत्री पद की चर्चा की जाने लगी है। भाजपा-कांग्रेस दोनों दलों में डिप्टी सीएम बनाये जाने से इंकार नहीं किया जा सकता दोनों दलों के हाइकमान समीकरण साधने के लिए इस पर आत्मचिंतन करने में लगे हैं। राज्य में क्षेत्रीय और जातिगत समीकरण साधने के लिए डिप्टी सीएम वाला फार्मूला लागू हो सकता है। टिकाऊ सरकार और मंत्री रहे नेताओं का बजन बनाये रखने के लिए डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है। राज्य में डिप्टी सीएम पर ऊपर से लेकर नीचे कार्यकर्ताओं तक चर्चा होने लगी है।

कांग्रेस में एकबार फिर कमलनाथ मुख्यमंत्री का चेहरा हैं

दिग्विजय सिंह को साधने के लिए उनके खेमें से डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है। वहीं भाजपा में दिल्ली से सीएम तय होगा तो मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल नेताओं को मनाने के लिए भाजपा डिप्टी सीएम का पद ला सकती है।
राज्य में अब तक चार लोग डिप्टी सीएम रहे हैं। 30 जुलाई 1976 को जनसंघ की सरकार में प्रदेश को पहला डिप्टी सीएम मुख्यमंत्री गोविंद नारायण सिंह के मंत्री मण्डल में बीरेंद्र कुमार सखलेचा के तौर पर मिले थे। इनका कार्यकाल 30 जुलाई 1976 से 12 मार्च 1969 तक रहा।

इसके बाद अर्जुन सिंह के मुख्यमंत्रित्वकाल में शिवभानु सिंह सोलंकी डिप्टी सीएम बनाये गए

फिर सीएम दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में सुभाष यादव 1993 से 1998 तक डिप्टी सीएम रहे। 1998 से 2003 तक जमुना देवी डिप्टी सीएम रहीं।इस मामले में भाजपा के एक पूर्व मंत्री का कहना है कि बीजेपी में जरूरत के हिसाब से फैसला होता है और यह केंद्रीय नेतृत्व तय करता है। राज्य के स्तर पर इस पर कुछ कहने का अधिकार किसी के पास नहीं है। कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि डिप्टी सीएम की शुरुआत 1976 में जनसंघ ने की थी। उसको तो कई फॉर्मूले लाने की जरूरत है, लेकिन कांग्रेस में इस तरह का निर्णय अर्जुन सिंह व दिग्विजयसिंह सरकार में डिप्टी सीएम का निर्णय हाईकमान से ही हुआ था।

India Edge News Desk

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