टीकमगढ़ जिले में भाजपा के सदर विधायक रहे भाजपा के घोषित उम्मीदवार के रूप में शुरुआत करते हुए टीकमगढ़ विधानसभा से राकेश गिरी ने सबसे पहले नामांकन पत्र दाखिल दिया है।
टीकमगढ़ विधानसभा भाजपा प्रत्याशी राकेश गिरी ने अपने दो वरिष्ठ सहयोगी अधिवक्ताओं व अपने समर्थकों के साथ नामांकन दाखिल करने पहुंचे थे। नामांकन दाखिल करने के बाद राकेश गिरी से जब रूठे हुऐ भाजपाई के बारे में पूंछा तो उन्होंने कहा है कि रूठे हुए हमारे परिवार के मुखिया हैं

टीकमगढ़: टीकमगढ़ जिले में भाजपा के सदर विधायक रहे भाजपा के घोषित उम्मीदवार के रूप में शुरुआत करते हुए टीकमगढ़ विधानसभा से राकेश गिरी ने सबसे पहले नामांकन पत्र दाखिल दिया है। टीकमगढ़ कलेक्ट्रेट में 43- टीकमगढ़ विधानसभा भाजपा प्रत्याशी राकेश गिरी ने अपने दो वरिष्ठ सहयोगी अधिवक्ताओं व अपने समर्थकों के साथ नामांकन दाखिल करने पहुंचे थे।
नामांकन दाखिल करने के बाद राकेश गिरी से जब रूठे हुऐ भाजपाई के बारे में पूंछा तो उन्होंने कहा है कि रूठे हुए
हमारे परिवार के मुखिया हैं और पार्टी के सक्रिय और सच्चे सिपाही हैं । वह उनके साथ ही रहेंगे । चुनाव में उनके मुद्दे टीकमगढ़ विधानसभा में बचे हुए विकास कार्यों को कराना है , जो कार्य चल रहे हैं उनको शीघ्र पूरा कराना है। साथ ही उन्होंने कहा कि पार्टी ने उन पर विश्वास जताया है जिसे वह पूरा करेंगे उनके द्वारा विधानसभा की जनता पर विश्वाश जताते हुए कहा कि जो विकास कार्य किए गए हैं इससे जनता भाजपा पर विश्वास दिखाएगी।
राजनीति के जानकारों की माने तो न केवल देश की फायरब्रांड नेता
उमा भारती ने जब अपनी मूल पार्टी को छोड़कर जनशक्ति से चुनाव समर में छलांग लगाई थी, तब उन्हें अपनी ही गृहनगर की विधानसभा में हार का मुंह देखना पड़ा था बल्कि कांग्रेस के मंत्री रहे यादवेंद्र सिंह ने भी सपा से चुनाव लड़कर हार को ही गले लगाया था।क्योंकि बुंदेलखंड में भाजपा और कांग्रेस के अलावा अन्य किसी दल का बजूद ज्यादा दिखाई नहीं देता है। ऐसे में यदि कोई अपनी दमखम दिखाता है तो पुराने अनुभव के आधार पर उसकी डगर कठिन होगी।