केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह ने जी-20 की बैठक में दिया उद्बोधन

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क

बाली : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह ने बाली (इंडोनेशिया) में जी-20 की बैठक में विभिन्न सत्रों में भारत का पक्ष रखते हुए उद्बोधन दिया। इस दौरान श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार कृषि और खाद्य प्रणालियों के समक्ष स्थिरता संबंधी चुनौतियों से निपटने के लिए तत्पर है और इनके समाधान के लिए अनेक महत्वपूर्ण पहल की गई हैं। उन्होंने कहा कि छोटे व सीमांत किसानों के फायदे लिए भारत सरकार कटिबद्ध है और उनके कल्याण के लिए अनेक बड़ी योजनाएं चलाई जा रही है।

जी-20 की बैठक में अनुकूल व सतत कृषि एवं खाद्य प्रणालियों का निर्माण विषय पर श्री तोमर ने कहा कि भारत किसानों को आदान, प्रौद्योगिकी व बाजारों तक उनकी पहुंच में सुधार करके वर्तमान व भावी संकटों के प्रति सक्षम बनाने के लिए कटिबद्ध है। भारत अपने किसानों की आर्थिक अनुकूलता बढ़ाने के लिए छोटे व सीमांत किसानों को समूहों में एकजुट, कृषि अवसंरचना में निवेश व दुनिया में बड़ा फसल बीमा कार्यक्रम शुरू करने, कृषि-स्टार्टअप को बढ़ावा देने और कृषि के डिजिटलीकरण को सुविधाजनक बनाने जैसी विभिन्न गतिविधियां संचालित कर रहा है। भारत ने जलवायु अनुकूल कृषि परियोजना में राष्ट्रीय स्तर पर नवाचार शुरू किया है, जिसका उद्देश्य जलवायु-स्मार्ट कृषि पद्धतियों के कार्यान्वयन और विभिन्न फसलों की जलवायु अनुकूल किस्मों के विकास के माध्यम से किसानों को लाभ पहुंचाना है।

श्री तोमर ने कहा कि विषम जलवायु परिस्थितियों के प्रति मिलेट की सहन-क्षमता के साथ-साथ उनके पोषण संबंधी लाभों को देखते हुए भारत मिलेट की खेती को बढ़ावा दे रहा है। मिलेट के इन गुणों को मान्यता देते हुए संयुक्त राष्ट्र ने भारत के प्रस्ताव पर वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष घोषित किया है। उन्होंने, खाद्य विविधता प्रदान करने व कम संसाधनों में उगाए जा सकने वाले मिलेट की खपत को बढ़ावा देने की पहल के लिए सभी के समर्थन और सक्रिय भागीदारी का अनुरोध किया। श्री तोमर ने कहा कि अपने प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए भारत बड़े पैमाने पर जैविक और प्राकृतिक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा दे रहा हैं। श्री तोमर ने कहा कि आने वाली चुनौतियों को देखते हुए यह जरूरी है कि कृषि उत्पादन निरंतर रूप से बढ़ाने, खाद्य नुकसान कम करने, वैश्विक खाद्य आपूर्ति श्रृंखला मजबूत करने के लिए सभी मिल-जुलकर काम करें, ताकि हमारे छोटे और सीमांत किसानों को पर्याप्त आय सुनिश्चित की जा सकें। हमें मिलकर पारंपरिक ज्ञान का उपयोग करना होगा, उभरती प्रौद्योगिकियों और सर्वोत्तम पद्धतियों के आदान-प्रदान को मजबूत करना होगा तथा कृषि पारिस्थितिकी तंत्र को बदलने के लिए एक सक्षम नीतिगत वातावरण बनाना होगा।

सभी के लिए भोजन की उपलब्धता व सस्ता भोजन सुनिश्चित करने के लिए खुले, संभावित और पारदर्शी कृषि व्यापार को बढ़ावा देना, विषयक सत्र में श्री तोमर ने कहा कि कृषि व्यापार में भारत आज महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। एक समय था जब भारत खाद्यान्न आयातक था लेकिन अब प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में कृषि क्षेत्र का सतत विकास होने के कारण भारत कृषि उत्पादों के शुद्ध निर्यातक के रूप में तेजी से उभरा है और पिछले कुछ वर्षों में भारत ने कृषि उत्पादों में व्यापार अधिशेष बनाए रखा है। कोरोना महामारी से उत्पन्न लाजिस्टिक चुनौतियों के बावजूद वित्त वर्ष 2020-21 में भारत से कृषि व संबद्ध उत्पादों का निर्यात जारी रहा, जिसमें गत वर्ष की तुलना में 18% की बड़ी वृद्धि दर्ज हुई। वैश्विक महामारी के दौरान 2021-22 में भारत का कृषि निर्यात 50.21 बिलियन अमरीकी डालर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया। श्री तोमर ने कहा कि भारत की कृषि और खाद्य आपूर्ति प्रणालियों में न केवल आत्मनिर्भरता आई है, अपितु भारत का योगदान महामारी की शुरूआत से ही अन्य राष्ट्रों के बीच असाधारण रहा और भारत ने अन्य देशों को खाद्यान्न भेजकर संकट के इस समय में हरसंभव सहायता की। इस प्रकार भारत ने वसुधैव कुटुम्बकम की भावना के साथ महामारी के समय में हुई क्षति की पूर्ति करने के प्रयासों को आगे बढ़ाया है।

श्री तोमर ने कहा कि हमें बड़े राष्ट्रों की खाद्य सुरक्षा आवश्यकताओं का समाधान भी खोजना चाहिए, जो बड़ी आबादी का भरण-पोषण करते हैं और उनकी नीतियों एवं कार्यक्रमों में भारत जैसे विकासशील देशों की सार्वजनिक वितरण प्रणाली के मामले को समझना चाहिए। इसमें नीतियों में आश्वासित कीमतों पर किसानों से खाद्यान्न की खरीद, अनिश्चितता दूर करने व बिचौलियों द्वारा हेरफेर रोकने वाले पीडीएस सिस्टम के जरिये भंडारण व आपूर्ति करने, किसानों के लिए उपज बढ़ाने व मंडी में लाने और भारतीयों के लिए सस्ता भोजन तथा इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सुदृढ़ तंत्र उपलब्ध करना शामिल हैं। विकासशील देशों को उपकरणों, प्रौद्योगिकियों और विशेषज्ञों की सहायता दी जानी चाहिए, ताकि उन्हें विश्व के अन्य कमजोर क्षेत्रों की खाद्य सुरक्षा में योगदान देने के साथ-साथ आत्मनिर्भर होकर पर्याप्त भोजन उत्पादन करने की जानकारी हो सके। पोषण के प्रति संवेदनशील सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को बढ़ाने, नई प्रौद्योगिकियों की शुरूआत करने, उर्वरकों के कुशल उपयोग को बढ़ाने व सतत खाद्य व पोषण सुरक्षा में निवेश के माध्यम से खाद्य प्रणालियों को मजबूत करने के कार्यक्रमों से विश्व का भरण-पोषण करने वाले छोटे-सीमांत किसानों के लिए अधिक आजीविका प्रदान में सहायता मिलेगी। विश्वभर में खाद्य सुरक्षा, उपलब्धता और वहनीयता सुनिश्चित करना एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है, जिसके लिए हमें प्रयास करना चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कृषि व्यापार सभी देशों, विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए, बड़ी संख्या में छोटे और सीमांत किसानों के लिए समान अवसर प्रदान करें।

ग्रामीण क्षेत्र में किसानों की आजीविका में सुधार के लिए डिजिटल कृषि के माध्यम से अभिनव कृषि-उद्यमिता, विषयक सत्र को भी श्री तोमर ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि कृषि और खाद्य मूल्य श्रृंखला में डिजिटल प्रौद्योगिकी के माध्यम से ग्रामीण आजीविका में सुधार सम-सामयिक मुद्दा है। भारत में कृषि व खाद्य क्षेत्र में मोबाइल प्रौद्योगिकियों, रिमोट-सेंसिंग सेवाओं और डिस्ट्रीब्यूटेड कंप्यूटिंग के प्रसार के कारण छोटे भूमिधारकों की सूचना, आदान, बाजार, वित्त व प्रशिक्षण तक पहुंच में पहले से ही सुधार हो रहा है। ‘चौथी औद्योगिक क्रांति’ कृषि क्षेत्र के लिए सकारात्मक परिणाम लाने की दिशा में अग्रसर है। ब्लॉकचेन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, ड्रोन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग में कृषक परिवारों की आय में वृद्धि के लिए एक सक्षम वातावरण तैयार करने की अपार संभावनाएं हैं। भारत किसानों की निर्णय लेने की क्षमता में सुधार करने के लिए डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन अपना रहा है, ताकि वे कथित जोखिमों व परिवर्तनशीलता का बेहतर प्रबंधन करने में सक्षम हों। भारत सुसंगत डिजिटल कृषि पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की ओर अग्रसर है एवं किसानों की आय बढ़ाने व जीवन स्तर ऊंचा उठाने तथा योजनाओं के बेहतर कार्यान्वयन के उद्देश्य से एग्रीस्टैक बनाने की प्रक्रिया में है। उन्होंने एग्रीस्टैक को अपने उभरते स्टार्टअप- उद्यमियों व अन्य लोगों के साथ साझा करने का प्रस्ताव रखा ताकि किसानों के लिए खेती में आसानी लाने सार्वजनिक व निजी दोनों क्षेत्रों को लाभ मिले। भारत इस संबंध में दुनिया को, और खासकर विकासशील और अल्प विकसित देशों में अपनी विशेषज्ञता साझा कर सकता है।

श्री तोमर ने किसानों की शिकायतों का निवारण करने और कृषि व योजनाओं पर उनकी भाषा में फोन पर तकनीकी जानकारी प्रदान करने के लिए स्थापित ‘किसान कॉल सेंटर’ का उदाहरण भी दिया। साथ ही, राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) की जानकारी दी, जो किसानों को उपज के लिए लाभकारी मूल्य प्राप्त करने में सुविधा प्रदान करता है।

श्री तोमर ने समापन-सत्र में कहा कि भारत प्राचीन काल से प्रकृति के अनुरूप जीवन जीने के मूल्यों की वकालत करता रहा है और व्यक्तिगत व्यवहारों को ग्लोबल क्लाइमेट एक्शन नरेटिव में मोर्चे पर लाने के लिए ‘मिशन लाइफ’ शुरू किया गया है। मिशन लाइफ जलवायु के आसपास के सामाजिक मानदंडों को प्रभावित करने के लिए सामाजिक नेटवर्क की सार्म्थय का लाभ उठाने की योजना बनाता है। मिशन की योजना व्यक्तियों का वैश्विक नेटवर्क बनाने और पोषण करने की है, अर्थात् ‘प्रो-प्लैनेट पीपल’ (पी 3), जिनके पास पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली अपनाने और बढ़ावा देने के लिए साझा प्रतिबद्धता होगी। पी 3 समुदाय के माध्यम से मिशन एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाना चाहता है जो पर्यावरण के अनुकूल व्यवहारों को आत्मनिर्भर बनाने और सुदृढ़ करने में सक्षम होगा।

उन्होंने कहा कि जी-20 देशों को सतत पद्धतियों के विविध क्षेत्रों पर ध्यान देना होगा। हमें जी-20 देशों व दुनियाभर में खेती को आसान बनाने के लिए उभरती डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उपयोग करना चाहिए तथा छोटे व सीमांत किसानों, विशेष रूप से विकासशील देशों के किसानों को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में भाग लेने में मदद करना चाहिए। स्वदेशी ज्ञान प्रणालियों पर निर्मित समाधानों के साथ औपचारिक विज्ञान-आधारित ज्ञान को एकीकृत करने के प्रयास भी किए जाने चाहिए, ताकि जलवायु संबंधी जोखिमों के लिए ग्रामीण आबादी की कमजोरियों को कम किया जा सकें और सतत आय उत्पन्न की जा सकें, जिससे कि परिवार स्तर पर गरीबी को कम किया जा सके और भूखमरी की स्थिति कहीं भी नहीं हों। श्री तोमर ने कहा कि वर्तमान में भारत का अधिकांश विकास कार्यसूची के सतत विकास लक्ष्यों में प्रतिबिंबित होता है। भारत अपनी वैश्विक प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए एसडीजी के स्थानीयकरण की दिशा में काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के कुशल नेतृत्व में देश ने पिछले 8 वर्षों में बड़ी प्रगति की है, साथ ही सभी प्रतिनिधियों से अनुरोध किया कि वे भारत आकर देश में जो सकारात्मक परिवर्तन हो रहा है, उसे स्वयं देखें।

India Edge News Desk

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