3 चीतों की मौत पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता
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इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली : मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीका से लाए गए 3 चीतों की मौत पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा कि चीतों को सिर्फ एक जगह बसाना उचित नहीं होगा। अन्य अभयारण्यों में भी इन्हें बसाने का प्रयास किया जाना चाहिए। सुनवाई के दौरान जज ने स्पष्ट किया कि वह सरकार से सवाल नहीं कर रहे हैं। वह सिर्फ चीतों के लिए अपनी चिंता जाहिर कर रहे हैं।
सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि तीनों चीतों की मौत के कारणों की जांच की जा रही है। सरकार ने यह भी कहा था कि मादा चीता ने चार शावकों को जन्म दिया है। चीता प्रोजेक्ट की यह बड़ी सफलता है। कूनो के वातावरण में चीते आराम से रहते हैं। एक चीता की बीमारी से मौत हो गई। बाकी की मौत लड़ाई में लगी चोटों से हुई।
सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संजय करोल की बेंच ने यह सवाल भी उठाया कि किडनी की बीमारी से पीड़ित मादा चीता को भारत सरकार ने क्यों स्वीकार किया। जस्टिस गवई ने कहा, ‘चीतों को लंबे समय बाद भारत लाया गया। इन्हें एक जगह रखने से सभी को खतरा हो सकता है। इसलिए उन्हें वैकल्पिक अभयारण्यों में बसाने पर विचार किया जाना चाहिए। यह अभयारण्य मध्य प्रदेश, राजस्थान या महाराष्ट्र में हो सकता है।
इस मौके पर केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि करीब 75 साल से चीता भारत में नहीं है। इसलिए अभी भी इनसे जुड़े विशेषज्ञों की कमी है। सरकार फिलहाल इनकी सुरक्षा के लिए कई उपायों पर विचार कर रही है। इन्हें अन्य अभयारण्यों में बसाने की योजना है। राजस्थान का मुकुंदरा नेशनल पार्क इसके लिए तैयार है। इसके अलावा मध्यप्रदेश में एक और अभयारण्य पर विचार किया जा रहा है।
सुनवाई के अंत में कोर्ट ने अपनी ओर से गठित 3 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति को 15 दिनों के भीतर अपने सुझाव राष्ट्रीय कार्यबल को सौंपने को कहा, ताकि उन पर विचार किया जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले की अगली सुनवाई जुलाई महीने में होगी। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि चीता प्रोजेक्ट देश के लिए अहम प्रोजेक्ट है। नए अभयारण्य को चुनने में दलगत राजनीति से संबंधित विचारों का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।