झड़पें अक्सर होती रहती हैं, लेकिन क्यों नहीं होती भारत-चीन सीमा पर फायरिंग?

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली : अरुणाचल प्रदेश के तवांग इलाके में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प के वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं। हालांकि भारत और चीन की सेनाओं के बीच इस तरह की झड़पें अक्सर होती रहती हैं, लेकिन फायरिंग नहीं बल्कि लाठी, बुके, हाथापाई जैसी फ्री स्टाइल लड़ाई देखने को मिलती है। इसमें अक्सर दोनों पक्षों के सैनिक घायल होते हैं, लेकिन जानबूझकर फायरिंग नहीं की जाती है। गलवान घाटी में चीनी सैनिकों ने भारतीय सेना पर लोहे की छड़ों से हमला किया और इस तरह के हमले आमतौर पर बर्फबारी से पहले या बर्फबारी के बाद होते हैं। हालांकि इस साल यह घटना दिसंबर के दूसरे हफ्ते की शुरुआत में हुई और करीब 45 मिनट तक हाथापाई होती रही।
इस तरह के एनकाउंटर में दोनों सेनाओं की ओर से कोई फायर नहीं किया जाता है क्योंकि इन सीमाओं पर सीजफायर लागू है। 1975 के बाद से किसी ने भी सीजफायर का उल्लंघन नहीं किया है। दोनों पक्षों के जवानों को सीमा पर फायरिंग नहीं करने की सख्त हिदायत दी गई है। ऊपर से आदेश हो तो ही गोली चलानी चाहिए और पिछले 40 साल में ऐसा समय एक बार भी नहीं आया। दोनों देशों की सरकारें 1967 के आसपास इस पर राजी हो चुकी हैं और इस हिसाब से कितनी भी बहस, असहमति और तनाव पैदा हो जाए, फायरिंग नहीं होनी चाहिए नहीं तो हालात बिगड़ेंगे। इसलिए चीनी सैनिक जब भी भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करने की कोशिश करते हैं तो उन्हें धक्का देकर ही पीछे किया जाता है।
2016 से 2018 के बीच चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की 1025 कोशिशें की हैं और चीन ने सड़कें, इंफ्रास्ट्रक्चर और गांवों का निर्माण किया है। कहा जाता है कि इस गांव में सिर्फ फौजी ही रहते हैं। इसे भारतीय क्षेत्र में घुसकर भारतीय जवानों को भड़काने के तौर पर देखा जा रहा है।