ब्लड बैंक के लिए नहीं की शादी
गरियाबंद के बीलभद्र का संकल्प 45 की उम्र में पूरा, कहा- जीवनसाथी न भी मिले तो गम नहीं

गरियाबंद : गरियाबंद में देवभोग के रहने वाले बीलभद्र ने जिले में ब्लड बैंक नहीं होने के कारण शादी नहीं की। उन्होंने ब्लड बैंक नहीं खुलने तक वैवाहिक बंधन में न बंधने की शपथ ली थी। 23 साल की मेहनत के बाद उनका सपना पूरा हुआ। अब देवभोग में ब्लड बैंक खुल गया है। बीलभद्र कहते हैं कि 45 साल की उम्र में अब जीवन साथी न भी मिले तो कोई गम नहीं है।
दरअसल, देवभोग में दो दशक पहले खून के अभाव में मरीजों की मौतें हो रही थीं। तब बीलभद्र यादव लोगों के लिए चलता-फिरता ब्लड बैंक बन गए। 45 साल की उम्र में जहां उन्होंने खुद 58 बार रक्त दान किया है, वहीं 200 युवाओं का समूह बनाकर सैकड़ों लोगों की मदद कर चुके हैं।
पहली बार महिला को दिया था खून :
देवभोग के वार्ड क्रमांक 3 में रहने वाले बीलभद्र यादव 23 साल पहले खून के लिए भटक रहे गायनिक समस्या से जूझ रही महिला सावित्री सिंदूर को खून दिया था।अविभाजित छत्तीसगढ़ में प्रशासन की बागडोर तब भोपाल से संचालित थी।
स्वास्थ्य सेवा के नाम पर देवभोग में केवल एक डॉक्टर के भरोसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित था। उच्च सेवा के लिए रायपुर 221 किमी दूर था। लिहाजा इलाके की सारी आबादी ओडिशा के कालाहांडी जिले पर निर्भर थी।
सावित्री बाई बोलीं- 22 साल की उम्र में की मदद :
आज भी पूरी तरह से स्वस्थ्य सावित्री बाई बताती है कि खून नहीं मिलने के कारण तीन दिन तक ऑपरेशन टाल दिया गया था, फिर बीलभद्र को पता चला तब इनकी उम्र 22 साल की थी। सिंदूर परिवार की मदद के लिए बीलभद्र ने भवानीपटना में पहला रक्त दान किया।
ब्लड बैंक के लिए रोड़ा बनी थी बिजली :
बीलभद्र यादव ने बार-बार शासन-प्रशासन को ब्लड बैंक की सुविधा दिलाने की मांग की। छत्तीसगढ़ अस्तित्व में आने के बाद हर उस दफ्तर तक अपनी मांग लेकर गए, जहां से उन्हें उम्मीद थी।उनकी कोशिश जारी रही, लेकिन बिजली की परेशानी मांग के लिए रोड़ा बनी रही। ब्लड स्टोरेज के लिए जरूरी उपकरण चलने लायक बिजली नहीं थी।
तीन महीने पहले खुला ब्लड बैंक :
बीएमओ डॉक्टर सुनील रेड्डी ने कहा कि तीन माह पहले ही देवभोग में ब्लड स्टोरेज यूनिट खोला गया है। यहां अब जरूरतमंदों को तत्काल ब्लड मिलेगा। संस्था ने पहला रक्तदान शिविर 29 सितंबर को आयोजित किया। इसमें बीलभद्र यादव ने 58वीं बार रक्त दान कर शिविर की शुरुआत की।
जीनसाथी मिले न मिले कोई गम नहीं :
यादव से प्रेरित होकर 23 अन्य लोगों ने भी रक्तदान किया। यादव ने कहा कि मेरा संकल्प पूरा हुआ। उम्र के इस पड़ाव में मुझे जीवन साथी मिले न मिले इस बात का कोई गम नहीं रहेगा, लेकिन खुशी जिंदगी भर के लिए रहेगी। मैं जरूरत मंद लोगों की काम आता रहूंगा।
2003 में विवाह न करने का लिया संकल्प :
छत्तीसगढ़ अस्तित्व में आने के बाद जोगी सरकार बनी। सुविधा और संसाधन बढ़ने लगे थे। 2003 में भाजपा सरकार के आते ही प्रदेश में मूलभूत सुविधाएं पटरी में आना शुरू हुआ था। तब यादव ने प्रदेश सरकार से ब्लड बैंक की मांग शुरू की। यही वो समय था, जब बीलभद्र ने ब्लड बैंक नहीं खुलने तक विवाह नहीं करने का संकल्प लिया था।
स्वच्छता और नशा मुक्ति के खिलाफ भी चलाया अभियान :
बीलभद्र बचपन से ही गांधी वादी विचारधारा से प्रभावित थे। कक्षा 12वीं पढ़ने के बाद आईटीआई की शिक्षा लेने वाले यादव की दिन की शुरुआत गांधी वंदन से होती है।पिछले 15 साल से यादव स्वच्छता और नशामुक्ति का अभियान चलाते आ रहे हैं। उनके साथ जुड़े युवाओं की टोली रक्त दान, स्वच्छता और नशा मुक्ति के अभियान में सहयोग करते हैं।
स्वच्छ भारत मिशन के नवरत्न का दर्जा :
रक्तदान दाता समूह के नाम से एक व्हाट्सएप ग्रुप से अपने अभियान को गति दे रहे हैं। पिछले 10 साल से यादव देवभोग पंचायत के वार्ड 3 के पंच हैं। ये इकलौते ऐसे पंच हैं, जो फावड़ा लेकर नालियों की सफाई खुद करते हैं। इन्हें देवभोग रत्न के अलावा जिला पंचायत के स्वच्छ भारत मिशन के नवरत्न में का भी दर्जा मिला हुआ है।