दुबई में तूफान-भारी बारिश के बाद बने बाढ़ जैसे हालात, कृत्रिम बारिश बनी मुख्य वजह

एडिनबर्ग.

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई ) और ओमान में इस सप्ताह आए तूफान से रिकॉर्ड बारिश हुई। इसकी वजह से पूरा शहर जलमग्न हो गया, घरों में पानी भर गया, यातायात ठप हो गया और लोग अपने घरों में फंस गए। इतना ही नहीं, दुबई से दिल्लीआने-जाने वाली कम से कम 19 उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। वहीं, दुबई में बाढ़ में एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि ओमान में कम से कम 20 लोगों की जान चली गई।

यहां चारों तरफ सिर्फ पानी ही पानी दिखाई दे रहा है। ऐसे में, सवाल उठता है कि आखिरकार अचानक से इतने हालात क्यों बिगड़ गए? क्या कृत्रिम बारिश की वजह से ऐसा हुआ है? क्या इसकी वजह बदलती जलवायु है? आइए समझते हैं इस रिपोर्ट से-
 

तूफान के कारण बहरीन और ओमान भी प्रभावित
भारी बारिश के कारण दुबई की सड़कों को नुकसान हुआ है, विभिन्न घरों की छतों, दरवाजों और खिड़कियों से पानी रिसने लगा। तूफान का प्रभाव दुबई से आगे तक फैल गया है। पूरे संयुक्त अरब अमीरात के साथ पड़ोसी देश बहरीन भी बाढ़ में डूब गया। मौजूदा स्थिति को देखते हुए संयुक्त अरब अमीरात में स्कूलों को बंद कर दिया गया है। दूसरी तरफ बारिश और तूफान के कारण ओमान में अबतक 20 लोगों की मौत हो चुकी है। बहरीन में भी तूफान के कारण स्थिति खराब हो गई है।
संयुक्त अरब अमीरात में ओमान की सीमा से लगे शहर अल ऐन में रिकॉर्ड 254 मिलीमीटर (10 इंच) बारिश दर्ज की गई। यह 1949 में रिकॉर्ड शुरू होने के बाद से 24 घंटे की अवधि में सबसे अधिक थी।
 

क्या कृत्रिम बारिश तूफान का कारण बना?
संयुक्त अरब अमीरात और अरब प्रायद्वीप पर कहीं भी कभी कभार ही बारिश होती है। इन्हें आमतौर पर शुष्क रेगिस्तानी जलवायु के लिए जाना जाता है। गर्मियों में यहां का तापमान 50 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तक चला जाता है। वहीं, यूएई और ओमान  में भारी बारिश से निपटने के लिए जल निकासी प्रणालियों की कमी है। यहां बारिश के दौरान सड़कों का जलमग्न होना आम बात नहीं है।
ऐसे में सवाल उठाए गए थे कि क्या कृत्रिम बारिश बाढ़ का कारण हो सकता है? दरअसल, पृथ्वी पर सबसे गर्म और शुष्क क्षेत्रों में से एक संयुक्त अरब अमीरात अक्सर कृत्रिम बारिश कराता रहता है। हालांकि, यूएई की मौसम विज्ञान एजेंसी का कहना है कि तूफान से पहले ऐसा कोई अभियान नहीं चलाया गया था।
 

कैसे बनते हैं कृत्रिम बादल?
इस प्रक्रिया में एयरक्राफ्ट की मदद से आसमान में सिल्वर आयोडाइड का छिड़काव किया जाता है। यह जैसे ही हवा और आसमान में मौजूद बादलों के संपर्क में आता है, तो तेजी गति से बादल बनने लगते हैं और इन्हीं बादलों के कारण बारिश होती है। इसे क्लाउड सीडिंग भी कहते हैं। सिल्वर आयोडाइड बर्फ की तरह ही होती है और इससे नमी वाले बादलों में पानी की मात्रा बढ़ जाती है और फिर बारिश होती है। इसे अत्यधिक सूखाग्रत क्षेत्र और प्रदूषण की गंभीर स्थिति से निपटने के लिए किया जाता है। भीषण आग के हादसों से भी निपटने के लिए क्लाउड सीडिंग का इस्तेमाल किया जाता है।
 

क्या जलवायु परिवर्तन है कारण?
विशेषज्ञों का कहना है कि सामान्य मौसम प्रणाली के कारण भारी बारिश होने की संभावना थी। हालांकि   यूएई के राष्ट्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के एक वरिष्ठ पूर्वानुमानकर्ता एसरा अलनकबी की माने तो ऊपरी वायुमंडल में एक कम दबाव प्रणाली, सतह पर कम दबाव के साथ मिलकर हवा पर दबाव की तरह काम कर रही थी। उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर गर्म तापमान और अधिक ठंडे तापमान के बीच के अंतर के दबाव से तेजी आंधी की स्थिती बनी। उन्होंने आगे बताया कि अप्रैल में हुई घटनाएं भी इसका कारण हैं। क्योंकि जब मौसम बदलता है तो दबाव तेजी से बदलता है। इसलिए कह सकते हैं कि जलवायु परिवर्तन ने भी तूफान में योगदान दिया है। जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि मानव नेतृत्व वाले जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते वैश्विक तापमान से दुनिया भर में अधिक चरम मौसम की घटनाएं हो रही हैं, जिसमें भारी बारिश भी शामिल है। व्रिजे यूनिवर्सिटिट एम्स्टर्डम के प्रोफेसर डिम कौमौ ने कहा कि गरज के साथ बारिश, जैसा कि हाल के दिनों में संयुक्त अरब अमीरात में देखा गया है, बदलती जलवायु का उदाहरण है।
 

इसलिए भारी बारिश के बने हालात
इंपीरियल कॉलेज लंदन में जलवायु विज्ञान के एक वरिष्ठ व्याख्याता फ्रेडरिक ओटो ने कहा कि जलवायु के गर्म होने के कारण दुनिया भर में भारी बारिश हो रही है क्योंकि गर्म वातावरण अधिक नमी धारण कर सकता है। उन्होंने कहा कि भारी बारिश के पीछे का कारण क्लाउड सीडिंग बताना भ्रामक था। उन्होंने कहा कि क्लाउड सीडिंग कुछ भी नहीं से बादल नहीं बना सकती है। यह पानी को प्रोत्साहित करता है जो पहले से ही आकाश में है और कुछ स्थानों पर पानी को तेजी से गिराने के लिए प्रोत्साहित करता है। तो सबसे पहले, आपको नमी की आवश्यकता है। इसके बिना कोई बादल नहीं हो सकता। ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट, एनर्जी एंड डिजास्टर सॉल्यूशंस के निदेशक मार्क हॉडेन ने कहा कि बदलती जलवायु के कारण दुबई के आसपास के समुद्रों में बहुत तेज गर्म पानी आया। जबकि यहां का तापमान पहले से ही चरम पर है। यह संभावित वाष्पीकरण दर और उस पानी को धारण करने के लिए वायुमंडल की क्षमता दोनों को बढ़ाता है, जिससे भारी बारिश होने के संकेत मिलते है, जैसा कि हमने अभी दुबई में देखा है।

एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के जलवायु विज्ञानी गैबी हेगरल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण संयुक्त अरब अमीरात और ओमान की तरह अत्यधिक वर्षा कई स्थानों पर बदतर होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि जब वास्तव में भारी बारिश के लिए स्थितियां एकदम सही होती हैं, तो हवा में अधिक नमी होती है, इसलिए तेज बारिश होती है। यह अतिरिक्त नमी इसलिए है क्योंकि हवा गर्म है, जो मानव जनित जलवायु परिवर्तन के कारण है।

India Edge News Desk

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