योग का मूल संदेश है, वसुधैव कुटुंबकम् : आयुष मंत्री परमार

भोपाल
उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री श्री इन्दर सिंह परमार ने जर्मनी के शांतिपूर्ण वातावरण में स्थित बाइड माइनबर्ग के योग विद्या आश्रम में आयोजित पांचवे यूरोपीय योग सम्मेलन एवं तीसरे विश्व योग महासम्मेलन के मंच "यूरोपियन एवं वर्ल्ड योग कांग्रेस -2025" में वर्चुअली सहभागिता की। मंत्री श्री परमार ने महासम्मेलन में सहभागी योग एवं आध्यात्म नेतृत्वकर्ताओं, योग साधकों एवं उपस्थित जर्मनी के नागरिकों को वर्चुअली संबोधित किया एवं आयोजकों को महासम्मेलन के भव्य आयोजन के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित की। श्री परमार ने भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे, मध्यप्रदेश की पवित्र नगरी उज्जैन निवासी डॉ. विक्रांत सिंह तोमर को वर्ल्ड योग कन्फेडरेशन के उपाध्यक्ष पद पर सर्वसम्मति से नामित किए जाने पर हार्दिक बधाई भी दी। श्री परमार ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश की उज्जैन नगरी के डॉ विक्रांत सिंह का, इस वैश्विक महासम्मेलन में देश की ओर से प्रतिनिधित्व करना अत्यंत गौरव का विषय है। श्री परमार ने कहा कि उज्जैन एक ऐसा नगर है जो योग, तंत्र, वेद और साधना की हजारों वर्षों पुरानी परम्परा का केंद्र रहा है। इस वैश्विक महासम्मेलन में मध्यप्रदेश की आध्यात्मिक चेतना, वैश्विक मंच पर अभिव्यक्त हो रही है। मंत्री श्री परमार ने हिंदी भाषा में ही अपना उद्बोधन दिया, उनके उद्बोधन के साथ उसका जर्मनी भाषा में अनुवाद उपस्थितजनों के समक्ष प्रस्तुत किया गया।

आयुष मंत्री श्री परमार ने कहा कि यह सम्मेलन न केवल योग की भौतिक अभिव्यक्ति है बल्कि एक जीवंत संदेश भी है कि योग, अब एक देश या संस्कृति तक सीमित नहीं बल्कि संपूर्ण मानवता की साझी विरासत है। श्री परमार ने कहा कि यह सम्मेलन जर्मनी जैसे देश में होना भी गौरव की बात है, जहां भारतीय योग एवं आयुर्वेद पर गहन शोध हो रहे हैं। श्री परमार ने कहा कि योग का महत्वपूर्ण संदेश है, वसुधैव कुटुंबकम्। आज जब विश्व अनेक प्रकार के तनावों, संघर्षों और असंतुलनों से गुजर रहा है तब योग ही वह अमृत है जो शरीर, मन और आत्मा को संतुलन दे सकता है। श्री परमार ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि यह महासम्मेलन केवल एक आयोजन नहीं बल्कि वैश्विक जागृति का केंद्र बने। श्री परमार ने कहा कि हम सभी संकल्पित हो कि योग को केवल व्यायाम नहीं बल्कि एक पूर्ण जीवनशैली के रूप में प्रचारित करेंगे। योग के यम-नियम, ध्यान और समाधि जैसे मूल स्तंभों को पुनः विश्वमंच पर स्थापित करेंगे। श्री परमार ने कहा कि योग को मूल भारतीय भाव के साथ प्रचारित करने का संकल्प लेना होगा, जिसमें सर्वजन हिताय और आत्मा की शुद्धि का समावेश हो। श्री परमार ने सभी को अपने दैनिक जीवन में योग की आत्मा को अपनाने और फैलाने की बात भी कही।

उल्लेखनीय है कि तीन दिवसीय यूरोपियन एवं वर्ल्ड योग कांग्रेस; विविध व्याख्यानों, कार्यशालाओं, सत्संगों और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से समृद्ध रही। इसमें वर्ल्ड योग कन्फेडरेशन के अध्यक्ष सतगुरु स्वामी अमृता सूर्यानंद, योग विद्या आश्रम के संस्थापक श्री सुखदेव और स्वामिनी आत्मप्रकाशानंदा जैसी विविध प्रतिष्ठित विभूतियाँ सम्मिलित हुई। "शांति-समरसता-एकता" की प्रेरणादायक थीम के अंतर्गत, विश्व भर के योगाचार्य, विविध आध्यात्मिक नेतृत्व एवं योग साधक; योग के माध्यम से एकता और कल्याण के इस उत्सव सम्मेलन में एकत्रित हुए।

ज्ञातव्य है कि जर्मनी स्थित योग विद्या आश्रम, यूरोप का सबसे बड़ा योग आश्रम है, जो शिवानंद परंपरा का पालन कर रहा है। आश्रम में एक अत्यधिक आध्यात्मिक केंद्र के रूप में भगवान शिव जी (महाकाल) की दिव्य प्रतिमा से युक्त एक पवित्र कक्ष की स्थापना की गई है, जिसे “श्री महाकाल मंदिर उज्जैन” के रूप में समर्पित किया गया है।

 

India Edge News Desk

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