अंग्रेज लेकर आए थे...अब 86 साल बाद मुंबई की सड़कों से गायब होने जा रही हैं डबल डेकर बसें!
मायानगरी मुंबई की पहचान रही डबल-डेकर बसें बंद होने वालीं हैं. 15 सितंबर से मुंबई की सड़कों पर ये डबल-डेकर बसें नहीं चलेंगी. इनकी जगह इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएंगी. ये भी डबल-डेकर ही होंगी.
मुंबई : बस एक दिन और… फिर मुंबई की सड़कों से डबल-डेकर बसें गायब हो जाएंगी. वही डबल-डेकर बसें, जो मुंबई की पहचान रही है. अंग्रेजों के समय से चल रही ये बसें अब नहीं चलेंगी.
मुंबई में 15 सितंबर से ये डीजल से चलने वालीं ये डबल-डेकर बसों को पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा. इन बसों को चलाने का काम बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट (BEST) देखता है.
BEST के प्रवक्ता ने बताया कि :
BEST के प्रवक्ता ने बताया कि अभी मुंबई में सिर्फ सात डबल-डेकर बसें हैं, जिनमें से तीन ओपन-डेक बस हैं. उन्होंने बताया कि 15 सितंबर से डबल-डेकर और 5 अक्टूबर से ओपन-डेक बसें सड़कों से हट जाएंगी.
पर इन्हें बंद क्यों किया जा रहा है? दरअसल, ये बसें डीजल पर चलती हैं. और डीजल वाली गाड़ियों की लाइफ 15 साल होती हैं. इन सात बसों के 15 साल पूरे हो रहे हैं, इसलिए अब इन्हें हटाया जा रहा है.
86 साल से दौड़ रही थीं बसें :
मुंबई की पहचान बन चुकीं डबल-डेकर बसें 86 साल से सड़कों पर दौड़ रही थीं. साल 1937 में अंग्रेजों ने मुंबई में पहली डबल-डेकर बस चलाई थी. तभी से ये ट्रांसपोर्ट का एक अहम जरिया बन गई थी.
डबल-डेकर बसों के अलावा ओपन-डेक डबल-डेकर बसें भी हैं. पहले इनसे भी यात्री सफर करते थे, लेकिन बाद में इसे टूरिस्ट बस बना दिया था. ओपन-डेक डबल-डेकर बसें 5 अक्टूबर से बंद हो जाएंगी.
इनकी जगह कौन लेगा?
90 के दशक की शुरुआत में BEST के बेड़े में करीब 900 डबल-डेकर बसें हुआ करती थीं. लेकिन इसके बाद इनकी संख्या घटती गई. चूंकि, डबल-डेकर बसों के रखरखाव और और चलाने में खर्चा बहुत आता था, इसलिए साल 2008 से नई बसों को बेड़े में शामिल करना बंद कर दिया गया.
अब इन डबल-डेकर बसों की जगह इलेक्ट्रिक बसें लेंगी. ये बसें भी डबल-डेकर होंगी और इनका कलर रेड एंड ब्लैक होगा. जबकि, पुरानी डबल-डेकर बसें सिर्फ लाल रंग की ही होती थीं.
BEST ने बताया था कि वो पर्यटकों के लिए जल्द ही ओपन-डेक डबल-डेकर बसें खरीदेगी. और ये भी इलेक्ट्रिक ही होंगी.
इसी साल फरवरी से मुंबई की सड़कों पर इलेक्ट्रिक डबल-डेकर बसें चलने लगी हैं. अब तक ऐसी 25 बसें हैं. इन इलेक्ट्रिक बसों की कीमत दो करोड़ रुपये बताई जाती है. जबकि, डीजल वाली एक डबल-डेकर बस पर 30 से 35 लाख रुपये खर्च होते थे.