एमपी बीजेपी परिवारवाद को लेकर सख्त, नेतापुत्रों की नहीं हो रही चुनाव में पूछ

भोपाल
मध्य प्रदेश में बीजेपी ने परिवारवाद पर लगाम लगा दी है। कई नेतापुत्रों के राजनीतिक सपने टूट गए हैं। बुधनी उपचुनाव में शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय को टिकट नहीं मिला। इसके बाद से दूसरे नेता निराश हो गए। अब भाजपा संगठन चुनाव में भी इन नेता पुत्रों की कोई पूछपरख नहीं हुई।

बीजेपी का परिवारवाद विरोधी रुख नेताओं के बच्चों के लिए मुसीबत बन गया है। विधानसभा और लोकसभा जाने की उनकी राह मुश्किल हो गई है। कई नेता अपने बच्चों को राजनीति में आगे बढ़ाना चाहते थे। लेकिन पार्टी के नए नियमों ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
क्या है पार्टी का स्टैंड

भाजपा ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अपनी जीत का श्रेय परिवारवाद न फैलाने को दिया है। पार्टी का मानना है कि परिवारवाद से प्रतिभा दब जाती है। इसलिए पार्टी ने एक परिवार से एक ही व्यक्ति को टिकट देने का फैसला किया है। इससे कई नेता पुत्रों का राजनीतिक करियर खतरे में पड़ गया है। पहले ये नेता पुत्र राजनीति में काफी सक्रिय थे। अब वे कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं।
नए नियमों के बाद से गायब हैं नेतापुत्र

ऐसे नेता पुत्रों में पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव भी शामिल हैं। विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र सिंह तोमर भी इसी सूची में हैं। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय भी राजनीति में सक्रिय थे। पूर्व मंत्री जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ, पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन की बेटी मौसम और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्व. प्रभात झा के बेटे तुष्मुल भी इसी श्रेणी में आते हैं।
बीजेपी ने पहले इन पर की कार्रवाई

भाजपा ने आकाश विजयवर्गीय और जालम सिंह पटेल के टिकट पहले ही काट दिए थे। कार्तिकेय सिंह चौहान 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले से बुधनी में सक्रिय थे। उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें उपचुनाव में टिकट मिलेगा। प्रदेश भाजपा चुनाव समिति ने उनका नाम दूसरे नंबर पर भेजा भी था। लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें टिकट नहीं दिया।
नरेंद्र तोमर के बेटे भी थे एक्टिव

पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र सिंह तोमर लगभग 10 साल से राजनीति में सक्रिय हैं। उन्हें 2023 के विधानसभा चुनाव में टिकट मिलने की उम्मीद थी। लेकिन पार्टी ने नरेंद्र सिंह तोमर को ही मैदान में उतार दिया। इससे देवेंद्र का सपना टूट गया। सागर जिले की रहली सीट से नौ बार विधायक रहे गोपाल भार्गव अपने बेटे अभिषेक को राजनीति में स्थापित करना चाहते थे। अभिषेक दमोह या खजुराहो से लोकसभा टिकट के लिए भी कोशिश कर रहे थे।
जयंत मलैया भी खाली हाथ

दमोह से सात बार विधायक रहे जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ भी टिकट की दौड़ में थे। उन्होंने विधानसभा चुनाव का टिकट भी मांगा था। लेकिन पार्टी ने उन्हें तवज्जो नहीं दी। 2021 के उपचुनाव में सिद्धार्थ ने दमोह से टिकट मांगा था। लेकिन पार्टी ने कांग्रेस से आए राहुल लोधी को टिकट दे दिया। राहुल हार गए तो मलैया परिवार पर भितरघात का आरोप लगा। सिद्धार्थ को पार्टी से निकाल दिया गया। बाद में वे वापस पार्टी में आ गए।
बालाघाट में भी यही हाल

बालाघाट से विधायक रहे गौरीशंकर बिसेन अपनी बेटी मौसम को राजनीति में आगे बढ़ाना चाहते थे। मौसम को विधानसभा का टिकट भी मिला था। लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया। इसलिए गौरीशंकर बिसेन को ही चुनाव लड़ना पड़ा। अब गौरीशंकर बिसेन अपनी बेटी को जिलाध्यक्ष बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Back to top button