आगामी एक अप्रैल से सरकार की एकीकृत पेंशन योजना लागू होने वाली है, केंद्रीय कर्मचारियों का इंतजार खत्म

मुंबई
केंद्रीय कर्मचारियों के लिए नया फाइनेंशियल ईयर काफी खास होने वाला है। ये हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि आगामी एक अप्रैल से सरकार की एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) लागू होने वाली है। इस योजना के लागू होने के साथ केंद्रीय कर्मचारियों के पास पेंशन के लिए एक नया विकल्प होगा। आइए डिटेल जान लेते हैं।

एकीकृत पेंशन योजना के बारे में
इस योजना के तहत सेवानिवृत्ति से पहले के 12 महीनों में मिले औसत बेसिक सैलरी की 50 प्रतिशत राशि को सुनिश्चित पेंशन के तौर पर देने का प्रावधान है। बीते दिनों पेंशन कोष नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की थी। यह अधिसूचनो राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के तहत आने वाले केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए सरकार द्वारा 24 जनवरी, 2025 को जारी यूपीएस अधिसूचना का अनुसरण करती है। पीएफआरडीए के मुताबिक यूपीएस से संबंधित नियम एक अप्रैल, 2025 से लागू हो जाएंगे।

एक अप्रैल से लागू
ये नियम एक अप्रैल, 2025 तक सेवा में मौजूदा केंद्र सरकार के एनपीएस में आने वाले कर्मचारी और केंद्र सरकार की सेवाओं में अप्रैल, 2025 को या उसके बाद भर्ती होने वाले कर्मचारियों समेत केंद्र सरकार के कर्मचारियों के नामांकन को सक्षम करते हैं। केंद्र सरकार के कर्मचारियों की इन सभी श्रेणियों के लिए नामांकन और दावा फॉर्म एक अप्रैल, 2025 से प्रोटीन सीआरए की वेबसाइट पर ऑनलाइन उपलब्ध होंगे। कर्मचारियों के पास फॉर्म को भौतिक रूप से जमा करने का विकल्प भी है।

क्या है अधिसूचना में
अधिसूचना के मुताबिक, कर्मचारी को सेवा से हटाए जाने या बर्खास्त किए जाने या इस्तीफे के मामले में यूपीएस या सुनिश्चित भुगतान विकल्प उपलब्ध नहीं होगा। अधिसूचना में कहा गया है कि पूर्ण सुनिश्चित भुगतान की दर 25 वर्षों की न्यूनतम योग्यता सेवा के अधीन और सेवानिवृत्ति से तुरंत पहले 12 मासिक औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत होगी। अधिसूचना से 23 लाख सरकारी कर्मचारियों को यूपीएस और एनपीएस के बीच चयन करने का विकल्प मिलेगा। एनपीएस एक जनवरी, 2004 को लागू हुआ था।

पुरानी पेंशन योजना से कैसे अलग
बता दें कि जनवरी, 2004 से पहले प्रभावी पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) के तहत कर्मचारियों को उनके कार्यकाल के अंतिम मूल वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलता था। ओपीएस के उलट यूपीएस अंशदायी प्रकृति की है। इसमें कर्मचारियों को अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 10 प्रतिशत योगदान करना होगा, जबकि नियोक्ता (केंद्र सरकार) का योगदान 18.5 प्रतिशत होगा। हालांकि, अंतिम भुगतान उस कोष पर मिलने वाले बाजार रिटर्न पर निर्भर करता है, जिसे ज्यादातर सरकारी बॉन्ड में निवेश किया जाता है।

 

India Edge News Desk

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