दंतेवाड़ा में इमली के कारोबार पर निर्भर है हजारों परिवार की आजीविका

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क

स्व-सहायता समूह की महिलाओं की कामयाबी की कहानी इमली की पैकिंग और बाजार में खट्टी इमली की बड़ी मिठास
दन्तेवाड़ा : दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा का संभागीय मुख्यालय जगदलपुर में एशिया की सबसे बड़ी इमली मंडी है। यहां से इमली देश के अन्य राज्यों के साथ-साथ दूसरे देशों को भी भेजी जा रही है। बस्तर संभाग के जिला दंतेवाड़ा की आबोहवा इमली के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद है, हर साल टनों इमली की पैदावारी और कारोबार दंतेवाड़ा में होता है।

दंतेवाड़ा जिले के ग्रामीण अंचलों में पर्याप्त संख्या में इमली के पेड़ हैं, यहां हजारों परिवार की आजीविका इमली के कारोबार पर निर्भर है। अंचल के ग्रामीण हर साल गर्मी के सीजन में लघु वनोपज इमली का संग्रहण कर स्थानीय व्यापारियों और कोचियो को औने-पौने दाम पर ब्रिकी करते थें, जिससे क्षेत्र के ग्रामीणों/संग्राहकों को उचित लाभ प्राप्त नहीं होता था।

जिला प्रशासन एवं वन विभाग दंतेवा़डा द्वारा छत्तीसगढ़ शासन की न्यूनतम समर्थन मूल्य नीति को जिले में क्रियान्वयन करते हुए लघु वनोपज (इमली) का समर्थन मूल्य पर खरीदी, मूल्य संवर्धन की दिशा एवं स्व-रोजगार योजना के तहत महिला स्व-सहायता समूहों को रोजगार देने के उद्वेश्य से “इमली संग्रहण, प्रसंस्करण एवं विपणन” परियोजना प्रारंभ किया गया।

जिला यूनियन अंतर्गत वर्ष 2021-22 में इमली के समर्थन मूल्य 33 रूपयें प्रति किलो की दर से महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से 15421.53 क्विटल इमली की खरीदी गई। जिससे क्षेत्र के लगभग 12400 ग्रामीण परिवारों को राशि रू. 509.00 लाख पारिश्रमिक भुगतान किया गया। इमली संग्राहकों ने बताया कि समर्थन मूल्य पर इमली खरीदी से उनकी और परिवार की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है। इमली खरीदी में 78 महिला स्व-सहायता समूहों को रू. 8.31 लाख का आर्थिक लाभ प्राप्त हुआ।

”प्रसंस्करण” केन्द्र के माध्यम से महिला स्व-सहायता समूहों को प्रशिक्षण उपरांत इमली प्रोसेसिंग का कार्य कराया जा रहा है।

वर्तमान में जिले के 05 प्रसंस्करण केन्द्रों में संलग्न 75 महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा कुल 22000 क्विंटल इमली का प्रसंस्करण कर 11000 क्विटल फूल इमली निर्मित किया जा चुका है। फूल इमली से चपाती इमली, इमली सॉस एवं अन्य खाद्य उत्पाद निर्माण से वनोपज का मूल्यवर्धन कर विक्रय जा रहा है। प्रसंस्करण कार्य में संलग्न स्व-सहायता समूहों को 146.25 लाख रूपये का आर्थिक लाभ प्राप्त हुआ है।

महिला स्व-सहायता समूहों के सदस्यों द्वारा निर्मित फूल इमली (बीज रहित इमली), चपाती इमली, इमली सॉस आदि की मार्केटिंग राज्य स्तर पर छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ अधिकृत छत्तीसगढ़ हर्बल ब्रांडिंग के माध्यम से किया स्थानीय संजीवनी मार्ट, एन.डब्ल्यू. एफ.पी. मार्ट एवं आन्ध्रप्रदेश, तेलंगाना, उड़ीसा राज्य के व्यापारियों के माध्यम से विक्रय किया जा रहा है। इमली संग्रहण, प्रसंस्करण एवं विपणन से जिले के इमली संग्राहको को आर्थिक लाभ एवं महिलाओं को सतत् रोजगार प्राप्त हो होने से उनका जीवन खुशहाल हो रहा है।

India Edge News Desk

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