अटल की दूरदर्शिता का परिणाम, बुंदेलखंड को मिली सबसे बड़ी सौगात
नदी जोड़ो का सपना हो रहा साकार

खजुराहो /(मनोज बाबू चौबे)
25 दिसंबर को बुंदेलखंड की जीवनरेखा को मूर्तरूप देने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की सबसे बड़ी नदी जोड़ो परियोजना के तहत बुंदेलखंड की दो प्रमुख नदियां केन और बेतवा को जोड़ने की मध्य प्रदेश के खजुराहो में आधारशिला रखने जा रहे हैं। जिसमें उत्तर प्रदेश के 4 और मध्यप्रदेश के 9 जिलों को इसका लाभ मिलेगा। जिसके अंतर्गत 130 मेगावाट बिजली उत्पादन, 62 लाख लोगों को पेयजलापूर्ति और दोनों राज्यों में लगभग 10.62 लाख हैक्टेयर जमीन की सिंचाई हो सकेगी।
कामरेड के दोनों सपने भाजपा ने पूरे किये
आज से लगभग तीन दशक पहले बुंदेलखंड जैसे पिछड़े क्षेत्र के टीकमगढ़ से नंगे पांव सत्याग्रह कर देश में नदियां जोड़ो देश बचाओ आंदोलन से आवाज बुलंद करने वाले कामरेड रहे सुप्रसिद्ध वकील, सामाजिक चिंतक प्रताप नारायण तिवारी ( दादा जी ) के सपने लेंगे अपना मूर्तरूप, श्री प्रताप नारायण तिवारी ने अपने वकालत के पेशे को तिलांजलि देते हुए अपना सारा जीवन नदियां जोड़ो आंदोलन में लगा दिया। उनके जिंदा रहते भले ही उनके दो सपने एक बेतवा और जामनी नदी पर ओरछा में पुल निर्माण और दूसरा नदी जोड़ो परियोजना अपना मूर्त रूप नहीं ले सकी हो, लेकिन केंद्र में भाजपा की सरकार ने उनके जाने के बाद दोनों सपने पूरे करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
1950 में उठी थी नदी जोड़ने की आवाज
देश की बाढ़ बाली नदियों को सूखी नदियों से जोड़ने की योजना सर विश्वेरैया ने पंडित नेहरू को इस योजना को सौंपा था, लेकिन अधिक खर्चीली योजना के कारण ये ठंडे बस्ते में चली गई। इस योजना में उन्होंने स्पष्ट उल्लेख किया था कि इससे बाढ़ पर नियंत्रण के साथ, बिजली उत्पादन, सूखे पर काबू पाकर सिंचाई के द्वारा खेती के लिए वरदान साबित होगी।
90 के दशक में देवगौड़ा ने समिति बनाई थी
तत्कालीन प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा ने भी नदियों को जोड़ने की आवाज को सुनकर वैज्ञानिकों की एक समिति बनाई थी, जिसमें जे एन यू के उपकुलपति वाई के अलख को समिति का अध्यक्ष बनाया गया था। लेकिन ये समिति भी कुछ कारगर कर पाने में सक्षम नहीं रही नतीजा मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया।
प्रताप ने नंगे पांव सत्याग्रह को जारी रखा
देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव को तब के प्रधानमंत्री निवास 7 रेस कोर्स पर जाकर नदियां जोड़ो का प्रोजेक्ट दिया , पर किसी कारण बस नदियां जोड़ो का प्रोजेक्ट अटक गया, फिर भी प्रताप नारायण तिवारी जी ने हार नहीं मानी और अपने प्रयास को आंदोलन बना दिया और उनकी छबि एक प्रखर आंदोलनकारी की हो गई।
अटल जी ने सपने पर मुहर लगाई
प्रताप नारायण तिवारी ने इस अकल्पनीय कल्पना को निरंतर अपने जीवन के अन्तिम चरण तक जारी रखा। आखिरकार भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई जी ने 1999 में नदियां जोड़ो परियोजना पर न केवल काम शुरू किया वल्कि अपनी दूरदर्शिता पर सरकार ने मुहुर लगा दी !
बुंदेलखंड की दशा और दिशा बदलने बाली देश की पहली केन,बेतवा नदी इंटरलिंक परियोजना का शुभारंभ देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई जी के सपने को बुंदेलखंड की धरा से प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा साकार किया जा रहा है। नदियां जोड़ो आंदोलन के लिए अपना जीवन समर्पित कर अपनी अटैची पर नदियां जोड़े देश बचाएं लिखकर चलने बाले प्रताप तिवारी के दोनों सपनें पूरे कर केन्द्र की भाजपा सरकार ने अपने नारा सबका साथ सबका विकास को सार्थक कर दिया।