संसद के आगामी शीतकालीन सत्र पुराने भवन में ही आयोजित होने के आसार

विनोद तकियावाला

विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत है ।जहाँ लोकतंत्र इतनी मजबूत है कि संसदीय शासन प्रणाली का उदाहरण सम्मान पूर्वक दिया जाता है। यहाँ की लोकतंत्र में जनता सर्वोपरी होती है। भारतीय नागरिकों को अपने मत का प्रयोग कर जन प्रतिनिधि को चुन कर संसद व विधान सभा में भेजती है । संसदीय व्यवस्था में संविधान व संसद का सर्वोच्च स्थान है। आज हम आपके समक्ष स्वतंत्र भारत के निर्माणाधीन नई संसद भवन के बारे में चर्चा करने वाले है।

इस नए संसद भवन की आधारशिला अक्टूबर 2020 में रखी गई थी।जिसकी उद्घाटन की संभावित तारीख अक्टूबर 2022 तय की गई थी जिसे बाद में समय सीमा को दिसंबर 2022 तक बढ़ा दिया गया था, क्योंकि नई भवन के कुछ हिस्सों के निर्माण का काम अभी भी चल रहा है। इस निमार्ण कार्य पूरा होने में अभी भी कुछ वक्त लगेगा जो निर्धारित समय सीमा थी। परिणाम स्वरूप संसद के आगामी शीतकालीन सत्र पुराने भवन में ही आयोजित होने के आसार है। विगत दिनों एक न्यूज ऐजन्सी के खबर के मुताबिक संसद का शीतकालीन सत्र सामान्यत: नवंबर माह के तीसरे सप्ताह में आरंभ होता है।

केंद्र सरकार की कोशिश है कि संसद का शीतकालीन सत्र 2022 से पहले नए संसद भवन का निर्माण के काम को पूरा कर लेने की कोशिश थी, लैकिन निमार्ण कार्य अभी तक पुरा नही हो पाया है। इसके पीछे तर्क दी जा रही है कि निर्माणाधीन संसद भवन का एक अंहम और जटिल परियोजना है जिसका निर्माण बेहद ही चुनौतीपूर्ण समय सीमा के भीतर किया जा रहा हैI निर्माता कम्पनी द्वारा नए संसद भवन का निर्माण कार्य अनवरत चौबीसों घंटा चल रहा है।

सूत्रों के अनुसार भवन का सिविल काम-काज लगभग पूरा हो चुका है लेकिन आखिर दौर का काम और बिजली का काम इस साल के आखिर तक जारी रह सकता है।निर्माण कार्य की गति में तेजी लाने के लिए फर्नीचर,कालीन,दीवार पेंटिंग और भवन को सुसज्जित करने के साथ ही अलग-अलग स्थानों पर भवन निर्माण का काम भी चल रहा है। ऐसे में इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि संसद का शीतकालीन सत्र 2022 पुराने संसद भवन में ही प्रबल संभावना है।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि शीतकालीन सत्र 2022 पुराने भवन में होने के आसार हैं।

नये संसद भवन से सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना से जाना जाता है। इस नए त्रिकोणीय संसद भवन,संयुक्त केंद्रीय सचिवालय,विजय चौक से इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर लंबे राजपथ का सुधार,प्रधानमंत्री के नए आवास और प्रधानमंत्री कार्यालय तथा नए उपराष्ट्रपति ‘एन्क्लेव’ का कॉन्सेप्ट है।

संसदीय मामले के विशेषज्ञ के अनुसार नये संसद भवन का निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद भी 15 से 20 दिनों की जरूरत पड़ेगी,ताकि यहाँ के कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा सके और संसद सत्र की बैठक सुचारू रूप से हो सके इसके लिए लोकसभा और राज्यसभा सचिवालयों के कर्मचारियों के साथ ही राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र,भारत पर्यटन विकास निगम और अन्य कर्मचारियों का ‘मॉक ड्रिल’और ट्रेनिंग कराया जाएगा।आप को मालूम होना चाहिए कि सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री मोदी जी का डीम परोजेक्ट है। हालाकि इस प्रोजक्ट को यथार्य के घरातल पर साकार करने में अनेक कानुनी दाव पेज व वैश्विक महामारी कोरोना 19 के दंश का शिकार होना पडा। जिसके कारण सत्ता के गलियारों में पक्ष -विपक्ष की तीखी नोक-झोंक का मामले भी समाने ही नही आए बल्कि यह मामला न्यायलय तक पहुँच गया।अन्तोगत्वा फैसला सरकार के पक्ष आया।नये संसद भवन में भव्य व आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित होगा अपने पाठकों को बता दे कि वर्तमान संसद भवन के निमार्ण में सर हर्बर्ट बेकर को मेन बिल्डिंग को पूरा करने में 6साल(1921 से1927) लगे थे।ऐसे में यह देखते हुए इस समय सीमा तक प्रोजेक्ट को पूरा करना थोड़ा मुश्किल लग रहा है।

इस आश्वासन के साथ कि संसद का शीतकालीन सत्र नयी बिल्डिंग में आयोजित किया जाएगा,लेकिन अभी तक मिल रहे सभी संकेत हैं कि पूरा होने की तारीख को फिर से टाल दिया जाएगा।इसमें शामिल सभी कम्पनी सीपीडब्ल्यूडी,टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड और वास्तुकार बिमल पटेल की फर्म–काफी दबाव में काम कर रहे है।इस प्रोजक्ट को तय समय सीमा में पूरा करने में कई रुकावटें आई थीं।कोरोना महामारी के अलावा कई अप्रत्याशित बाधाएं सामने आईं।ठेकेदारों को इस बात का ध्यान रखना था कि वो मौजूदा संसद भवन के बगल में काम कर रहे हैं,जो एक हेरिटेज बिल्डिंग है।कंस्ट्रक्शन साइट के आसपास की चट्टानों को नष्ट करने के सामान्य तरीकों पर रोक थी,जिसकी वजह से लंबी प्रक्रियाओं का इस्तेमाल करना पड़ रहा है।अष्टकोणीय स्तंभों को तराशने जैसे अधिकतर काम जो सामान्य रूप से साइट पर किए जाते थे उन्हें बहुत दूर करना पड़ा क्योंकि पुराने संसद भवन से बिजली और इंटरनेट के बुनियादी ढांचे कोअस्थायी रूप से डिस्कनेक्ट भी नहीं किया जा सकता क्योंकि संसदअभी भी वहीं से चलती है।अशोक स्तंभ के शेरों की मूर्ति में बदलाव: नए संसद भवन के पूरा होने से पहले बचे कामों की लिस्ट में चार मंजिला इमारत के ऊपर बने राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ के शेरों की मूर्ति में बदलाव करना था ।प्रधानमंत्री मोदी ने जब जुलाई में चार शेरों की कांस्य मूर्ति का अनावरण किया गया तो विपक्ष की ओर से काफी हंगामा हुआ था। विपक्ष ने दावा किया कि शेरों को एक आक्रामक,गुस्सैल रूप में दिखाया गया है।जो सारनाथ अशोक स्तंभ की मूल मूर्ति के शांत स्वरूप से बहुत अलग तरीके से गढ़ा गया था। समय सीमा को लेकर प्रोजेक्ट में शामिल सभी पक्ष–सीपीडब्ल्यूडी,टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड और वास्तुकार बिमल पटेल की फर्म–काफी दबाव में अपने काम कर रहे है।ठेकेदारों को इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखना था कि वो मौजूदा संसद भवन के बगल में काम कर रहे हैं,जो एक हेरिटेज बिल्डिंग है।कंस्ट्रक्शन साइट के आसपास की चट्टानों को नष्ट करने के सामान्य तरीकों पर रोक थी,जिसकी वजह से लंबी प्रक्रियाओं का इस्तेमाल करना पड़ रहा है।

लेकिन केद्र सरकार के समर्थक अभी यह मानने को तैयार नही है कि नए संसद का निमार्ण कार्य में देरी होगी है क्योंकि उनका कहना है कि – मोदी है तो मुमकिन है ” लेकिन उनके लिए यह फार्मला शत प्रतिशत यथार्थ सच होने वाला नही लग रही है।खैर मुझे क्या ! मै इस पचरे में अपना समय क्यूं बरवाद करूँ।मै तो आप से यह कहते हुए विदा लेते है कि-” ना ही काहूँ से दोस्ती , ना ही काहूँ से बैर॥

खबरीलाल तो माँगे, सबकी खैर ॥

फिर आप से मिलेगें तीरक्षी नजर से तीखी खबर के संग ‘ अलविदा

India Edge News Desk

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