बिलासपुर एयरपर्ट में विमानों के नाइट लैंडिंग के लिए उपकरण और तकनीक को लेकर रास्ता साफ

बिलासपुर

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने डीवीओआर टेक्नोलॉजी लगाने के लिए राज्य सरकार की सहमति के बाद नाइट लैंडिंग और जमीन सीमांकन का काम तेज करने के निर्देश दिए हैं। जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस राधाकृष्ण अग्रवाल के कड़े रुख और सार्थक दखल से बिलासपुर एयरपोर्ट के विकास का मार्ग प्रशस्त हो गया है।

गुरुवार को जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने बताया कि कोर्ट के निर्देश पर हुई बैठक में केंद्र सरकार ने जो निर्देश नाइट लैंडिंग के सम्बन्ध में दिए गए हैं। उन्हें मानने के लिए राज्य सरकार तैयार है। इससे स्पष्ट हो गया कि अब राज्य सरकार सेटेलाइट आधारित पीबीएन टेक्नोलॉजी के आधार पर नाइट लैंडिंग सुविधा की जिद नहीं करेगी।

लगभग एक साल से केंद्र और राज्य के बीच एयरपोर्ट में नाइट लैंडिंग के लिए टेक्नोलॉजी के उपयोग पर मतभेद के कारण मामला अटका था। 19 जून को सुनवाई में हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य की संयुक्त बैठक बुलाकर मामले को हल करने के निर्देश दिए थे।

आखिरकार, राज्य को वही निर्देश मानने पड़े जो केंद्र ने अपने 18 अप्रैल के पत्र में दिए थे। उस निरर्थक बहस के कारण हुए समय के नुकसान की भरपाई के लिए कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए कि वह केंद्र सरकार की एजेंसी के साथ मिल कर जल्दी से जल्दी डीवीओआर आदि उपकरणों के स्थापना की प्रक्रिया शुरू करे।

सेना के कब्जे वाली जमीन एयरपोर्ट को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया लंबित रहने पर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया और जिला प्रशासन के उस पत्र को स्वीकार किया, जिसमें पटवारी हड़ताल और बारिश को सीमांकन ना हो पाने का आधार बनाया गया था।

कोर्ट ने कहा कि एयरपोर्ट की भूमि कोई कृषि भूमि नहीं है और भू-राजस्व संहिता के हिसाब से तहसीलदार और अन्य राजस्व अधिकारी भूमि का सीमांकन कर सकते हैं। कोर्ट ने 29 जुलाई को सीमांकन प्रारम्भ करने और दो सप्ताह में पूरा करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने बाउंड्री वॉल तोड़ने की अनुमति अभी तक नहीं मिलने पर ब्यूरो ऑफ़ सिविल एविएशन सिक्योरिटी को नोटिस भी जारी किया है।

India Edge News Desk

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