भगवान श्रीकृष्ण का संपूर्ण जीवन दर्शन आज भी प्रासंगिक

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
बाराबंकी : जब जब इस पृथ्वी पर पाप बढ़ते हैं धर्म का नाश होता है तब तब धर्म की स्थापना के लिए कोई न कोई ईश्वरीय शक्ति इस पृथ्वी पर अवतरित होकर आतताई शक्तियों का समूल विनाश करके धर्म की स्थापना करती है इसी श्रृंखला में भगवान श्री कृष्ण ने अवतार लेकर राक्षसी शक्तियों का समूल दमन कर के लोगों को अमन चैन की जिंदगी देने का भरसक प्रयास किया जिनका संपूर्ण जीवन दर्शन आज भी लोगों के मध्य में प्रासंगिक बना हुआ है ।कहा जाता है कि द्वापर युग में जब मथुरा नरेश कंस का अत्याचार जब अपनी चरम सीमा पर बढ गया चारों ओर उथल-पुथल मच गई तब सारे देवता भगवान विष्णु की शरण में गए देवताओं ने कंस के अत्याचार की उन्हें सारी कहानी सुनाई तो भगवान विष्णु ने सभी अंशों के साथ मथुरा के कारागार में कंस की बहन देवकी के समक्ष भादो महीने की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को अवतार लिया जिस समय भगवान श्रीकृष्ण ने अवतार लिया उस समय आकाश में काली काली घटाएं घिरी हुई थी मेघ मूसलाधार वर्षा कर रहे थे भगवान श्रीकृष्ण के चतुर्भुज रूप को देखकर माता देवकी और वसुदेव की खुशी का ठिकाना नहीं रहा परन्तु कंस के अत्याचारों की याद आते ही वे भयभीत हो गए बाद में भगवान श्रीकृष्ण ने शिशु रूप धारण कर लिया आकाशवाणी हुई कि हमें नंद के घर में भेज दो तत्पश्चात वे भगवान श्रीकृष्ण को लेकर नंद के घर को गए वहां से तुरंत उत्पन्न हुई कन्या को उठा कर मथुरा के कारागार को ले आए वहां आने पर कन्या रोने लगी कन्या का रोना सुनकर पहरेदार जाग गए और पुत्र होने की सूचना कंस को दिया कंश ज्यों ही उस कन्या को उठाकर पत्थर पर पटकना चाहा कन्या हाथ से छूट गई और आकाश में चतुर्भुज देवी के रूप में प्रकट हो गई उसी समय आकाशवाणी हुई कि हे ! दुष्ट कंश तुझे मारने वाला ब्रज मंडल में पैदा हो चुका है तत्पश्चात कंस ने श्रीकृष्ण का वध करने के लिए पूतना अघासुर बकासुर प्रलम्बासुर जैसे तमाम राक्षसों को भेजा कंस ने बचपन में ही सभी का वध कर दिया बड़े होकर उन्होंने अपने मामा कंस का वध करके लोगों को अमन चैन की जिंदगी देने का भरसक प्रयास किया ।महाभारत काल में महाभारत के युद्ध में आपने अपनी सक्रिय भूमिका का निर्वहन किया अर्जुन के मोह उत्पन्न होने पर उन्हें गीता का उपदेश दिया और आप योगेश्वर कहलाए आपके द्वारा बताए गए श्लोकों में एक एक मंत्र प्राणी मात्र के लिए विधिग्राह्य है जिनका अनुसरण करके मानव परम पद को प्राप्त कर सकता है इस प्रकार से भगवान श्रीकृष्ण का संपूर्ण जीवन दर्शन आज भी लोगों के मध्य में प्रासंगिक बना हुआ है ।