केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह का मंत्री पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है : उपेंद्र कुशवाहा
इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
पटना : जनता दल के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को राजनैतिक संदेश पर ध्यान देते हुए नैतिकता के आधार बिना विलंब केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देना चाहिए। सिंह को हाल में जदयू ने राज्यसभा में एक और कार्यकाल से वंचित कर दिया है। आरसीपी का राज्यसभा कार्यकाल जुलाई में समाप्त हो रहा है। कुशवाहा ने आरसीपी के मंत्री पद पर बने रहने को लेकर पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि नियमों के अनुसार, एक मंत्री अधिकतम 6 महीने की अवधि के लिए पद पर बने रह सकता है जब तक कि वह संसद के किसी भी सदन के लिए निर्वाचित नहीं हो जाता। उन्होंने कहा कि अगर वह (सिंह) अपनी कुर्सी पर बने रहते हैं तो कोई तकनीकी समस्या नहीं है। लेकिन अगर वह संदेश पर ध्यान देते हैं और राजनीतिक स्थिति को भांपते हैं तो अच्छा होगा कि वह बिना विलंब किए इस्तीफा दे दें।
पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे कुशवाहा ने स्पष्ट किया कि वह कोई सलाह नहीं दे रहे हैं और न ही कोई इच्छा व्यक्त कर रहे हैं बल्कि केवल यह बताना चाहते हैं कि ऐसी परिस्थिति में मंत्री पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है। जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे सिंह के मंत्री पद छोड़ देने पर उनको पार्टी में क्या जिम्मेदारियां दी जा सकती हैं, इसके बारे में पूछे जाने पर कुशवाहा ने कहा कि यह उन्हें तय करना है। पार्टी के एजेंडे में और भी चीजें हैं। प्रवक्ता अजय आलोक सहित कई कथित आरसीपी समर्थकों के निष्कासन के बारे में जदयू नेता ने कहा कि यह स्पष्ट करता है कि कोई भी पार्टी से ऊपर नहीं है। जो कोई भी पार्टी लाइन का पालन नहीं करेगा उसे परिणाम भुगतने होंगे।
माना जाता है कि सिंह सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बहुत करीब हो गए हैं और कहा जाता है कि उन्होंने केंद्र में मंत्री पद स्वीकार करने से पहले नीतीश की सहमति नहीं ली थी। नीतीश भाजपा द्वारा सहयोगी दलों को दिए जा रहे सांकेतिक प्रतिनिधित्व का विरोध करते रहे हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव के कुछ महीने बाद नरेंद्र मोदी कैबिनेट में सिंह शामिल हुए थे। 2005 में गठबंधन के सत्ता में आने के बाद पहली बार भाजपा विधानसभा में जदयू की तुलना में कहीं अधिक बड़ी संख्या में सामने आई। जदयू तब से लगातार यह संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि विधानसभा में संख्या कम होने के बावजूद पार्टी और उसके नेताओं के बीच किसी प्रकार की खींचतान नहीं है। जदयू द्वारा जारी किए गए एक विस्तृत बयान में राज्य के भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल के इस तर्क का खंडन किया गया है कि बिहार अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि के कारण विकास में पिछड़ रहा है।
जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार, निखिल मंडल और अरविंद निषाद द्वारा संयुक्त रूप से जारी किए गए बयान में भाजपा या जायसवाल का कोई जिक्र नहीं है लेकिन यह आरोप लगाया गया है कि जनसंख्या वृद्धि की बार-बार बात करके बिहार को बदनाम किया जा रहा है। बयान में कहा गया है कि जब से नीतीश ने प्रदेश की कमान संभाली है तब से बिहार ने जनसंख्या विस्फोट के मामले में अधिकांश राज्यों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। जदयू के बयान में एक विशेष धर्म के प्रति ‘‘दुष्प्रचार” का भी जिक्र किया गया है, जिसमें ‘‘हिंदुओं और मुसलमानों दोनों के बीच लगभग समान प्रजनन दर” पर प्रकाश डाला गया। इसमें जायसवाल के उस सुझाव को भी खारिज कर दिया गया, कि दो या उससे कम बच्चों वाले लोगों को सरकारी नौकरियों में प्रोत्साहन प्रदान किया जाना चाहिए। बयान में कहा गया है कि वर्ष 2000 में केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार के इसी तरह के एक प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया था।
(जी.एन.एस)