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प्रदेश को बुरी आत्माओं से बचाने के लिए बस्तर दशहरा में आधी रात को निभाई गई ये रस्म, सैकड़ों साल पुरानी परंपरा

बस्तर दशहरा पर्व की एक और महत्वपूर्ण रस्म रविवार और सोमवार की आधी रात को संपन्न की गई. सैकड़ो साल पुरानी परंपरा में प्रदेश में सुख शांति के लिए रस्म निभाई जाती है

 बस्तर : छत्तीसगढ़ के बस्तर में 75 दिनों तक मनाई जाने वाली विश्व प्रसिद्ध दशहरा पर्व की सबसे अद्भुत निशा जात्रा रस्म को रविवार (22 अक्टूबर) और सोमवार (23 अक्टूबर) की आधी रात महाअष्टमी के दिन पूरी विधि विधान के साथ संपन्न किया गया. बस्तर दशहरा पर्व में काले जादू का रस्म भी कहा जाता है. बताया जाता है कि प्राचीन काल से इस रस्म को बस्तर के महाराजा बुरी प्रेत-आत्माओं से अपने राज्य की रक्षा के लिए निभाते थे और जिसमें बलि प्रथा मुख्य रूप से शामिल थी. हजारों बकरों, भैंसों यहां तक की नरबलि देने की भी प्रथा थी।

लेकिन अब वर्तमान में इस निशा जात्रा रस्म में केवल 11 बकरों की बलि देकर इस रस्म की अदायगी की जाती है और इसके लिए जगदलपुर शहर में एक निर्धारित स्थान मौजूद है. जिसे गुड़ी मंदिर कहा जाता है. बकायदा राज महल से बस्तर के राजकुमार कमलचंद भंजदेव पैदल गाजे बाजे के साथ इस गुड़ी मंदिर में पहुंचते है और यहां फिर महाअष्टमी और नवमी  के आधी रात इस रस्म की अदायगी होती है. देर रात भी इस रस्म को धूम धाम से संपन्न  किया गया. इस रस्म में बस्तर राजपरिवार के राजकुमार कमलचंद भंजदेव ,दशहरा पर्व समिति के सदस्य और बड़ी संख्या में बस्तरवासी और बाहर से पर्व में शामिल होने आए पर्यटक मौजूद रहे।

आधी रात को निभाई गई यह अनोखी रस्म :

बस्तर राजपरिवार के राजकुमार कमलचंद भंजदेव ने बताया कि बस्तर दशहरा में  इस काले जादू की रस्म की शुरुआत सन 1301ई.में की गई थी. इस तांत्रिक रस्म को बस्तर के महाराजा बुरी प्रेत आत्माओं से राज्य की रक्षा के लिए अदा करते थे और बकायदा इस रस्म में बलि चढ़ाकर देवी को प्रसन्न किया जाता है. जिससे कि देवी राज्य की रक्षा बुरी प्रेत-आत्माओं से करें. कमलचंद भंजदेव ने बताया कि निशा जात्रा का यह रस्म बस्तर के इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

भारत के अधिकतर इलाकों की परंपराए आधुनिकरण की बलि चढ़ गई है :

गौरतलब है कि समय के साथ आज भारत के अधिकतर इलाकों की परंपराए आधुनिकरण की बलि चढ़ गई है. लेकिन बस्तर दशहरा की यह परंपरा अनवरत चले आ रही है और बकायदा आज भी बस्तर राजपरिवार, बस्तर के आदिवासी और स्थानीय जनप्रतिनिधि के साथ स्थानीय प्रशासन भी बस्तर दशहरा के इन अद्भुत रस्मों को धूमधाम से निभाते हैं. रविवार आधी रात को इस रस्म अदायगी के दौरान बड़ी संख्या में सुरक्षा बल को तैनात किया गया था. चुनाव के मद्देनजर  दशहरा पर्व में भी बड़ी संख्या में शहर में सुरक्षा बल को तैनात किया गया है।

India Edge News Desk

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