तेलंगाना में किस हद तक जायेगी भारास और भाजपा की लड़ाई

सुशील कुट्टी

राजनीति गंदा धंधा है।राजनेताओं पर बहुत सारी धूल और गंदगी चिपक जाती है।गवाही देंगे भाजपा तेलंगाना इकाई के प्रमुख बंदी संजय जिन्हें वर्दीधारी पुलिस अधिकारियों द्वारा सड़क पर घसीटा गया और हिरासत में ले लिया गया।तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति (भारास) और दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक इकाई, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी के बीच चल रहे युद्ध में वह एक और शिकार हैं।
भारास-भाजपा संघर्ष और श्रेष्ठता की जंग वास्तव में असमान टकराव है। भारास अपनी आयु और संसाधन के मामले में भाजपा से बौना हो सकती है लेकिन तेलंगाना में आकार कोई मायने नहीं रखता।तेलंगाना में, भारास निर्णय लेती हैऔर तेलंगाना पुलिस केसीआर के नेतृत्व वाली भारास सरकार के इशारे पर काम कर रही है।इसलिए बंदी संजय की किस्मत कि वह इसमें फंसे।

बंदी के दोस्त और केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी को यह पसंद नहीं आया।तेलंगाना पुलिस को बंदी संजय के साथ इस तरह की लापरवाही नहीं करनी चाहिए थी।भाजपा की राज्य इकाई के प्रमुख को गंदे तेलंगाना के रास्ते पर घसीटना और फिर उसके पीछे सलाखों को बंद करना सभ्य व्यवहार नहीं था।
निस्संदेह, हर बीतते दिन के साथ राजनीति और गंदी होती जा रही थी।जी किशन रेड्डी ने, जिसे अब ‘बंदी उपचार’ कहा जाता है, भारास की आलोचना करते हुए कहा कि वह जितना अधिक भाजपा को चोट पहुंचायेगी, भाजपा की त्वचा उतनी ही कठोर अनुभव से उभरेगी।जो लोग जानते हैं, और जो लोग भाजपा को अच्छी तरह से जानते हैं, वे मूर्ख नहीं हैं।यह नाटक कर रहा है, भाजपा की तरह।अपमान भूलना भाजपा के स्वभाव में नहीं है।मुगलों से पूछो!और राहुल गांधी से भी।और…

इसके बावजूद जब पार्टी के कार्यकर्ताओं और उनके परिवारों को मार दिया जाता है, जेल में डाल दिया जाता है और आपके साथ क्या-क्या नहीं होता है, तो भाजपा जरा भी परवाह नहीं करती है। जैसे विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद पश्चिम बंगाल से भाजपा के हिंदू समर्थकों का पलायन।आतंकित भाजपा समर्थक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से एक साधारण म्याऊं भी नहीं बोलवा सके।

लेकिन बंदी संजय महज भाजपा के कैडर नहीं हैं।उनकी बड़ी और बेहतर साख है। वह एक क्षेत्रीय पार्टी क्षत्रप के भाजपा समकक्ष थे, वह राज्य पार्टी इकाई के प्रमुख थे।जी किशन रेड्डी, जिनके पास मोदी सरकार में ‘पर्यटन पोर्टफोलियो’ है, ने उसी सिक्के में पुनर्भुगतान का वायदा किया है, और कहा है कि “भारास जितना अधिक तेलंगाना में भाजपा को घेरने की कोशिश करेगी, भारतीय जनता पार्टी उतनी ही मजबूत होगी।”

वह अपनी शक्ति दिखा रहे थे?लेकिन भाजपा कैसे पलटवार कर सकती है, और किससे जवाबी कार्रवाई कर सकती है?जी किशन रेड्डी के पास केवल ‘पर्यटन’ है।इसलिए, उन्होंने “एक कानूनी लड़ाई और एक राजनीतिक लड़ाई” की बात की। फिर कड़ा रुख अपनाते हुए उन्होंने कहा, “अगर भाजपा के और नेताओं को गिरफ्तार किया जाता है तो भी हम लड़ने के लिए तैयार हैं।जब तक हम इस अहंकारी सरकार से राज्य को मुक्त नहीं करेंगे, हम चैन से नहीं बैठेंगे।”
इसलिए और गिरफ्तारियां की जायेंगी।भारास/केसीआर सरकार को भाजपा की इस रणनीति को सफल होने नहीं देना चाहिए।उसे हैदराबाद की सड़कों पर इतने आवारा टॉमी और जिम्मी की तरह भाजपा नेताओं को कॉलर पकड़कर घसीटना नहीं चाहिए।अपना विरोध दिखाने के बेहतर तरीके भी हो सकते हैं।
बंदी संजय को एक कथित घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।उन्हें एक पूर्व पत्रकार के साथ व्हाट्सएप चैट करने के आरोप में हिरासत में लिया गया था।चैट में कुछ आत्म-निहित होना चाहिए, लेकिन जी किशन रेड्डी ने विवरण में ध्यान देने की जहमत नहीं उठाई।वह सुन्न हैं, औरस्तब्ध हैं।”व्हाट्सएप चैट का ‘स्कैम’ से क्या लेना-देना है?”उसने पूछा।
रेड्डी ने तेलंगाना के डीजीपी अंजनी कुमार को फोन किया और बंदी संजय की गिरफ्तारी के कारणों को जानना चाहा।अंजनी कुमार किशन रेड्डी को यह विश्वास दिलाने में विफल रहे कि गिरफ्तारी कानून सम्मत थी।तेलंगाना पुलिस और भाजपा के बीच काफी अविश्वास है।भाजपा का कहना है कि जब वह “देश के पुनर्निर्माण में व्यस्त” है, भरास भाजपा नेताओं को फंसाने के लिए “प्रश्नपत्र लीक” करने की साजिश रच रही थी।

इसलिए बंदी संजय “प्रश्न पत्र लीक” करने के लिए सकते में हैं और अब उन्हें अपनी कथित संलिप्तता के लिए जवाब देना होगा।हालांकि, केसीआर और उनकी पुलिस को चिंता करने की जरूरत नहीं है।भाजपा का कहना है कि केसीआर सरकार को गिराने का उसका कोई इरादा नहीं है।इसके बजाय भाजपा भारास को हराने के लिए चुनाव का इंतजार करेगी। तात्पर्य यह है कि भाजपा “गुड फेलाज” (अच्छे दोस्तों का एक समूह) है, हालांकि यह अलग बात है कि “गुड फेलाज” एक हॉलीवुड अपराध फिल्म थी।

भाजपा और भारास के बीच ‘बड़ी लड़ाई’ पूरी तरह से राजनीतिक है, जिसकी निगाहें 2024 पर टिकी हुई हैं। इससे जुड़ी हर चीज नौटंकी और छलावा है।बंदी संजय की गिरफ्तारी और जेल जाने से दोनों के बीच लड़ाई खत्म होने का नाम नहीं ले रही है।करीमनगर के सांसद पर केसीआर सरकार को “बदनाम” करने और गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है।जिन धाराओं के तहत उन्हें गिरफ्तार किया गया है, वे गैर जमानती हैं।यदि दोषी ठहराया जाता है और दो साल से अधिक कठिन श्रम की सजा सुनाई जाती है, तो यह मानहानि के लिए दोषी ठहराये गये एक अन्य लोकसभा सांसद और एक अन्य ‘अयोग्य सांसद’ के रोने का मामला होगा।

India Edge News Desk

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