शुरू हो गया ट्रेड वॉर!तिलमिला उठा चीनअमेरिकी सामानों पर 34% का टैरिफ लगाने की घोषणा

बीजिंग

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 2 अप्रैल को दुनिया के देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा के साथ ही वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका जताई जाने लगी. अब यह व्यापार युद्ध शुरू होता दिख रहा है क्योंकि चीन भी अमेरिका पर बराबरी का टैरिफ लगाने जा रहा है. चीन के वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका से आयातित सभी सामानों पर 10 अप्रैल से 34% का अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा. मंत्रालय ने कहा कि चीन का यह टैरिफ अमेरिका के हालिया टैरिफ का जवाब है.

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, '2 अप्रैल 2025 को अमेरिकी सरकार ने देश में आयातित सभी चीनी सामानों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगा दिया. अमेरिका का यह कदम अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों के खिलाफ है जो कि चीन के वैध अधिकारों को नुकसान पहुंचाता है. यह दादागिरी है जो न केवल अमेरिका के हितों को नुकसान पहुंचाएगा बल्कि वैश्विक आर्थिक विकास, उत्पादन की स्थिरता और सप्लाई चेन को भी खतरे में डालेगा.'

चीनी मंत्रालय ने अमेरिका से टैरिफ हटाने का आग्रह कहते हुए कहा, 'चीन अमेरिका से आग्रह कहता है वो बातचीत के जरिए तुरंत अपने एकतरफा टैरिफ उपायों को हटा ले ताकि व्यापार को लेकर जो भी मतभेद हैं उन्हें सुलझाया जा सके.'

अमेरिका को रेयर अर्थ मेटल्स के निर्यात पर भी नियंत्रण लगाएगा चीन

अमेरिकी टैरिफ से नाराज चीन न केवल अमेरिका पर बराबरी का टैरिफ लगा रहा है बल्कि उसने यह भी कहा है कि वो अमेरिका को अब रेयर अर्थ मेटल्स के निर्यात पर भी नियंत्रण लगाएगा.

चीन ने कहा है कि वो अमेरिका को मध्यम और भारी रेयर अर्थ मेटल्स यानी दुर्लभ-पृथ्वी धातुओं के निर्यात पर नियंत्रण लगा रहा है. इन धातुओं में समारियम, गैडोलीनियम, टेरबियम, डिस्प्रोसियम, ल्यूटेटियम, स्कैंडियम और यिट्रियम शामिल हैं. यह नियंत्रण 4 अप्रैल से ही लागू भी हो गया है.

वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'चीनी सरकार कानून के अनुसार प्रासंगिक वस्तुओं पर निर्यात नियंत्रण लागू कर रही है. इसका मकसद राष्ट्रीय सुरक्षा और हितों की बेहतर सुरक्षा करना और परमाणु अप्रसार जैसे अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को पूरा करना है.'

चीन ने पहले ही दी थी जवाबी टैरिफ की धमकी

ट्रंप ने पहले ही अमेरिका में आयात होने वाले चीनी सामानों पर 20% का टैरिफ लगाया था.  2 अप्रैल को फिर उन्होंने चीन पर 34% का रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया जिसके बाद चीनी सामानों पर अमेरिका का टैरिफ 54% हो गया.

चीन ने गुरुवार को अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ की निंदा करते हुए कहा था कि वो इन तरीकों का 'दृढ़ता से विरोध करता है और अपने अधिकारों, हितों की रक्षा के लिए जवाबी उपाय' लागू करेगा.

गुरुवार को एक बयान में, चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने टैरिफ की आलोचना करते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय व्यापार मानदंडों का उल्लंघन बताया और तर्क दिया था कि इससे प्रभावित देशों के वैध अधिकारों को काफी नुकसान पहुंचता है.

क्या है टैरिफ?

टैरिफ एक तरह का टैक्स है, जो वस्तुओं के आयात पर लगाया जाता है। इसे आयात शुल्क भी कहते हैं। वस्तुओं का आयात करने वाले को यह टैक्स सरकार को देना पड़ता है। आम तौर पर कंपनियां टैरिफ का बोझ ग्राहकों पर डालती हैं।

क्या है पारस्परिक टैरिफ?

पारस्परिक टैरिफ का मतलब है कि कोई देश दूसरे देश पर उतना ही टैरिफ लगाएगा, जितना टैरिफ दूसरा देश उस पर लगा रहा है। ट्रंप ने भी दूसरे देशों को पारस्परिक टैरिफ की धमकी दी थी। उन्होंने कहा था कि हम दूसरे देशों पर उतना ही टैरिफ लगाएंगे, जितना वे हमारे उत्पादों पर लगाते हैं।
अमेरिका भारत पर कितना टैरिफ लगाता है?

भारत से अमेरिका निर्यात किए जा रहे उत्पाद जैसे स्टील, एल्युमिनियम और ऑटो पर पहले से ही 25 प्रतिशत टैरिफ लग रहा है। बाकी उत्पादों पर 5-8 अप्रैल के बीच 10 प्रतिशत टैरिफ लगेगा। इसके बाद 9 अप्रैल से भारत के उत्पादों पर 27 प्रतिशत टैरिफ लगेगा। अमेरिका के टैरिफ वार से 60 से अधिक देश प्रभावित होंगे।

अमेरिका ने क्यों किया है टैरिफ का एलान?

अमेरिका का दावा है कि टैरिफ से अमेरिका में घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा और व्यापार घाटा कम होगा। अमेरिका कई देशों के साथ बड़े पैमाने पर व्यापार असंतुलन का सामना कर रहा है। खा कर चीन के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा काफी अधिक है। वस्तुओं के व्यापार में भारत के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा 2023-24 में 35.31 अरब डॉलर रहा था।
किन सेक्टर्स को टैरिफ से छूट मिली है?

थिंक टैंक जीटीआरआइ के अनुसार, आवश्यक और रणनीतिक वस्तुओं को टैरिफ से छूट मिली है। जैसे फार्मा, सेमीकंडक्टर, तांबा और ऊर्जा उत्पाद जैसे तेल, गैस, कोयला और एलएनजी।
टैरिफ का भारत पर क्या होगा असर?

भारत सरकार के अधिकारियों के अनुसार, वाणिज्य मंत्रालय अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 27 प्रतिशत टैरिफ के प्रभाव का विश्लेषण कर रहा है। हालांकि, इसका असर मिला-जुला होगा और यह भारत के लिए बड़ा झटका नहीं है।
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर क्या चल रहा है?

फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका गए थे। उस समय दोनों देशों ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाकर 500 अरब डॉलर करने के लिए एक व्यापार समझौते की बात कही थी। दोनों देश समझौते के पहले चरण को इस वर्ष सितंबर-अक्टूबर तक अंतिम रूप देने के लिए बातचीत कर रहे हैं।
क्या है व्यापार समझौता?

व्यापार समझौते में दो व्यापारिक साझीदार देश या तो आयात या निर्यात शुल्क बड़े पैमाने पर घटाते हैं या ज्यादातर उत्पादों पर शुल्क खत्म कर देते हैं। इसके अलावा वे सेवाओं और निवेश में व्यापार को बढ़ावा देने के लिए नियमों को आसान बनाते हैं।
क्या अमेरिका के टैरिफ डब्ल्यूटीओ के नियमों के हिसाब से हैं?

अंतरराष्ट्रीय व्यापार मामलों के विशेषज्ञ अभिजीत दास के अनुसार ये टैरिफ विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ)  के नियमों का उल्लंघन करते हैं। सदस्य देश के पास अधिकार है वह इनके खिलाफ डब्ल्यूटीओ में जाकर अपील करें।

 

India Edge News Desk

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