फेसबुक पर छलका उद्धव ठाकरे का दर्द, सीएम पद से दिया इस्तीफा

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
मुंबई : फ्लोर टेस्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा दिया है। उद्धव ठाकरे ने फेसबुक के जरिए राज्य के लोगों से बातचीत की। उद्धव ठाकरे ने सिर्फ मुख्यमंत्री पद से नहीं, वरन विधान परिषद के सदस्य पद से भी इस्तीफा दिया है।
इस बार, उन्होंने अफसोस जताया कि शिवसेना को वह लोग भूलने लगे हैं, जिन्हें पार्टी ने बड़ा बनाया। मैं बचपन से ही शिवसेना का अनुभव कर रहा हूं। शिवसेना प्रमुख ने रिक्शावाले, टपारीवाले, हाटभट्टीवाले को अच्छे रास्ते पर लाया। पार्षद, मंत्री, विधायक, सांसद बनाया। लोग बड़े हुए और बड़े होने पर उन्हें पालने वालों को भूलने लगे। जो आज तक बड़े बनते थे, जिन्हें सत्ता में आने के बाद जो कुछ भी दिया जा सकता था, सब कुछ दिया जाता था, फिर भी वे कहने लगे हैं कि वे परेशान हैं। मातोश्री में लगातार लोग आ रहे हैं। साधारण लोग आ रहे हैं। कह रहे हैं चिंता मत करो, हम आपके साथ हैं। जिन्हें दिया गया वे दुखी हैं, जिन्हें नहीं दिया, वे साहस के साथ यहां मेरे साथ हैं। इसे कहते हैं इंसानियत। इसी रिश्ते के बल पर शिवसेना आज तक मजबूत बनी हुई है।
इस्तीफे के ऐलान के दौरान उद्धव ठाकरे का दर्द भी झलका। मेरे पास शिवसेना है। मैं नहीं चाहता कि शिवसैनिकों का खून बहे। मैं अप्रत्याशित तरीके से सत्ता में आया था और मैं अप्रत्याशित तरीके से ही बाहर जा रहा हूं। मैं हमेशा के लिए नहीं जा रहा हूं, मैं यहां रहूंगा, और मैं एक बार फिर शिवसेना भवन में बैठूंगा। मैं अपने सभी लोगों को इकट्ठा करूंगा। मैं सीएम और एमएलसी के पद से भी इस्तीफा दे रहा हूं।
हमने किसानों को कर्जमाफी दी। महाराष्ट्र कैबिनेट में औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर करने का प्रस्ताव पास हुआ है। साथ-साथ उस्मानाबाद का नाम धाराशिव कर दिया है।
भगवान ने आज फैसला दिया है। इसे स्वीकार किया जाना चाहिए। अदालत ने कल बहुमत से सुनवाई करने के राज्यपाल के आदेश का पालन करने का फैसला किया है। मैं लोकतंत्र का सम्मान करने के लिए राज्यपाल को भी धन्यवाद देना चाहता हूं। आपने पत्र प्राप्त करने के 24 घंटे के भीतर बहुमत परीक्षण का आदेश दिया। लेकिन विधान परिषद के 12 सदस्यों की सूची पिछले डेढ़ साल से आपके पास लम्बित है।
इस मौके पर उन्होंने शरद पवार, सोनिया गांधी और कांग्रेस और राकांपा के साथियों का शुक्रिया अदा किया। उद्धव ने आगे कहा कि आज भी कैबिनेट बैठक के बाद अशोक चव्हाण ने कहा, ‘अगर आपके लोगों को कांग्रेस-एनसीपी पर आपत्ति है तो हम बाहर रहेंगे। बाहर से समर्थन करेंगे।’
यह लोकतंत्र का दुर्भाग्य है कि यहां सिर का उपयोग केवल मापने के लिए किया जाता है कि किस के पास कितना बहुमत है। मुझे इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है कि कितने मेरे खिलाफ हैं। लेकिन अगर मेरा एक आदमी भी मेरे खिलाफ खड़ा हो जाता है, तो यह मेरे लिए शर्मनाक है। मैं बहुमत का खेल नहीं खेलना चाहता। मैं ईमानदारी से सोचता हूं कि शिवसेना प्रमुख के बेटे को अगर मुख्यमंत्री पद से हटाने में इनकी दिलचस्पी है, तो मैं क्या कहूं। उन पर विश्वास करना मेरा पाप था। कल वह गर्व से कहेंगे कि देखिए, हमने शिवसेना प्रमुख के बेटे को कुर्सी से खींचा।