छत्तीसगढ़ के बस्तर में पानी की दिक्कत, हैंडपंप सालों से खराब, शिकायत के बाद भी सुनवाई नहीं
छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में साफ पानी को लेकर काफी हाहाकार मचा है. यहां के लोगों को बूंद-बूंद पानी के लिए जूझना पड़ रहा है. शिकायत के बाद भी कोई ध्यान नहीं दे रहा है.
बस्तर : छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगों को पेयजल की समस्या से जूझना पड़ रहा है. खासकर ग्रामीण अंचलों में पानी की समस्या को लेकर काफी बुरा हाल हैं. इन गांवों में सभी घरों तक पानी पहुंचाने की सरकार की नल जल योजना भी पूरी तरह से फेल साबित हो रही है. करोड़ों रुपए की लागत से शुरू की गई यह नल जल योजना देखरेख के अभाव और पंचायतों की लापरवाही से पूरी तरह से बंद पड़ी है और लोगों को बूंद-बूंद पानी के लिए जूझना पड़ रहा है. वहीं ग्रामीणों की शिकायत के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं. ऐसे में पेयजल के लिए ग्रामीणों की समस्या और ज्यादा बढ़ गई है. इसके अलावा जिन गांवों में नल जल योजना के तहत नल लगाया गया है. वहां हर महीने आ रहे भारी भरकम बिजली बिल के चलते पंचायत के हाथ पांव फूल रहे हैं और बिजली बिल अदा नहीं कर पाने के कारण कनेक्शन काट दिए जा रहे हैं. जिसके चलते इस योजना का ग्रामीण क्षेत्रों में काफी बुरा हाल हो गया है।
दरअसल ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को घर-घर पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए शासन के तरफ से कई योजनाएं संचालित की जा रही है, जिसमें कुछ साल पहले शुरू हुई नल जल योजना भी शामिल है. इस योजना के तहत हर गांव में नल कनेक्शन सहित पंप हाउस की व्यवस्था निर्माण एजेंसी पीएचई विभाग की तरफ से कराई गई है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इसका संचालन सुचारु रूप से नहीं हो पा रहा है. इस योजना के तहत यह निर्धारित किया गया था कि नल कनेक्शन के हिसाब से ग्रामीण हितग्राही को एक निश्चित राशि शुल्क के रूप में अदा किया जाना है लेकिन समस्या यह है कि पंचायत में कई लोग घरों में नल लगाने तैयार नहीं होते और जो लोग नल लगा रहे हैं वह भारी भरकम बिजली बिल से परेशान होकर कनेक्शन भी काट रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में पानी की दिक्कत
हालांकि यह कुछ गांव की परेशानी है लेकिन बाकि अन्य गांव में अब तक इस योजना का लाभ ही ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है. बस्तर (Basar) जिले में सबसे बुरा हाल तोकापाल और बास्तानार विकासखण्ड का है, जहां लोगों को पानी की समस्या से लंबे समय से जूझना पड़ रहा है. यहां के ग्रामीणों ने बताया कि सरकार ने उनके ग्राम पंचायत में नल जल योजना की शुरुआत की थी लेकिन यह योजना अधिकारियों और पंचायत की लापरवाही से पिछले 3 साल से बंद पड़ी है. पंचायत और अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।
इधर कई गांवों में नल जल योजना बंद रहने के कारण गांव के लोगों को पेयजल के लिए काफी परेशानी हो रही है. ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में पानी के लिए दूसरा और कोई व्यवस्था नहीं है. हालांकि कुछ साल पहले गांव के अलग-अलग पारा, मोहल्ला में एक दर्जन से ज्यादा हैंडपंप बनाए गए लेकिन इसमें भी चार से पांच हैंडपंप भू जल स्त्रोत नीचे चले जाने से इन हैंडपंपो से पानी निकलना बंद हो गया है. वहीं बाकि बचे हैंडपंप से आयरनयुक्त पानी निकल रहा हैं।
हैंडपंपो का रेड मार्क
आयरन युक्त की अधिकता के कारण इन हैंडपंपो का पानी पीने योग्य नहीं है. खुद PHE विभाग के तरफ से इन हैंडपंपो का रेड मार्क किया गया है. ग्रामीणों ने बताया कि गांव के पुराने कुएं भी पाट दिए गए हैं. ग्रामीणों ने कहा कि नल जल योजना के शुरू होने से जरूर सैकड़ो ग्रामीणों को राहत मिलती, वहीं जिन गांवों में नल जल योजना भी है उन क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि शासन, उन्हें बिजली बिल में राहत नहीं दे रही है. काफी ज्यादा बिजली बिल आने की वजह से मजबूरन ग्रामीण नल जल योजना का लाभ लेने को तैयार नहीं है।