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जब बोर्ड छोटे पायलट प्रोजेक्ट को सफल नहीं बना सका तो 26 लाख स्मार्ट मीटर का प्रोजेक्ट कैसे सफल होगा, समीक्षा की मांग

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क

शिमला : बिजली बोर्ड कर्मचारी संघ ने शिमला और धर्मशाला में लगे स्मार्ट मीटरों की समीक्षा की मांग की है. प्रदेश अध्यक्ष कामेश्वर दत्त शर्मा ने प्रदेश कर्मचारियों के सम्मेलन की अध्यक्षता की। संघ के प्रदेश अध्यक्ष ने शिमला व धर्मशाला में शुरू हुई स्मार्ट मीटर प्रक्रिया की समीक्षा करने की बात कही. उन्होंने कहा कि बिजली बोर्ड का पिछला अनुभव बताता है कि दो स्मार्ट सिटी शिमला और धर्मशाला में लगाए गए एक लाख 50 हजार स्मार्ट मीटर में लक्ष्य पूरा नहीं होने पर करीब 50 हजार मीटर का खर्चा बिजली बोर्ड को वहन करना पड़ता है। केंद्र की योजना है। स्मार्ट मीटर को लेकर बोर्ड ने वर्ष 2017 में कलाअंब सिरमौर में पायलट प्रोजेक्ट बनाया था, जो पूरी तरह से विफल रहा है। जब बोर्ड इस स्मार्ट मीटर योजना के छोटे पायलट प्रोजेक्ट को सफल नहीं बना सका तो 26 लाख स्मार्ट मीटर का प्रोजेक्ट कैसे सफल होगा।

वहीं, स्काडा पर बिजली बोर्ड में 300 करोड़ रुपये की राशि पहले ही खर्च हो चुकी है, लेकिन इसमें कोई सॉफ्टवेयर काम नहीं कर रहा है. इस मौके पर शिमला में केंद्र सरकार की बिजली निगमों के निजीकरण की नीतियों पर चर्चा हुई। इसमें सैकड़ों कर्मचारियों ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की स्मार्ट मीटरिंग नीति के तहत बिजली कंपनी का काम निजी हाथों में सौंपे जाने के खिलाफ देश भर में बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों द्वारा इस तरह के सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं. संघ के महासचिव हीरा लाल वर्मा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुंदर जिस्तु, उप महासचिव ओपी जास्ता, उपाध्यक्ष जयकृष्ण शर्मा के अलावा प्रदेश पदाधिकारी पंकज परमार, हेमराज भारद्वाज, संजय शर्मा, धर्म प्रकाश वर्मा, हरीश शर्मा, नीतीश भारद्वाज व स्थानीय इकाई के प्रमुख इस मौके पर अमित मौजूद रहे। भरोटा, हरि दास, प्रदीप हांडा व संघ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप खरवाड़ा भी मौजूद रहे।
(जी.एन.एस)

India Edge News Desk

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