नवाचार से कायाकल्प : निजी विद्यालयों के भवन से भी आकर्षक है, सरकारी स्कूलों के भवन

श्री मनोज कुमार

राजस्थान का सिंहद्वार अलवर शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे नवाचारों के लिए अपना विशिष्ठ स्थान बनाए हुए हैं। यहां के सरकारी विद्यालयों में सामाजिक, आर्थिक व पर्यावरणीय बदलाव के साथ सामुदायिक नेतृत्व को विकसित करने की दिशा में सरकार एवं गैर सरकारी संस्थाओं की भागीदारी से एजुकेशन फ्रेंडली विद्यालय भवन उभरकर सामने आए हैं जिन्हें शिक्षा मनोविज्ञान की मूल भावना खेल-खेल में सीखने के अनुरूप एवं आकर्षक स्वरूप में प्रदान किया गया है। करीब दो दशक पूर्व लगभग 500 सरकारी स्कूलों की स्थिति दयनीय थी। वर्तमान में सरकारी एवं सामुदायिक सहभागिता से अलवर जिले के अधिकतर स्कूलों के भवन निजी विद्यालयों के भवन से भी आकर्षक स्वरूप में है। विद्यालय के सौंदर्यकरण के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण का भी विशेष ध्यान रखा गया है जिसके तहत पौधारोपण एवं डार्कजोन में स्थित अलवर जिले के इन विद्यालयों में बरसात के पानी को सहजने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम एवं रिचार्ज कुएं बनवाए गए हैं जिससे पानी की समस्या काफी हद तक दूर हुई है। वहीं रेलगाडी के स्वरूप के भवन, हवाई जहाज, पानी के जहाज (क्रूज) एवं स्वच्छता वाहिनी आदि नवाचार सरकारी विद्यालयों छटा में रोचकता प्रकट कर रहे हैं जिससे सरकारी स्कूलों में ड्राप आउट रूका है एवं नामांकन वृद्धि हो रही है।

निजी विद्यालयों से आकर्षक है सरकारी विद्यालयों के भवन
जिले में राज्य सरकार के द्वारा विभिन्न योजनाओं के माध्यम से विद्यालयों के उन्नयन का कार्य निरन्तर कराया जा रहा है। इसके साथ जिले में कार्यरत एनजीओ एमएस सहगल फाउन्डेशन एवं जिले के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित औद्योगिक इकाइयों द्वारा विद्यालय सौन्दर्यकरण के कार्य कराए जा रहे हैं। सहगल फाउन्डेशन द्वारा विगत सात वर्षों में करीब 60 सरकारी विद्यालयों का रिनोवेशन एवं सौन्दर्यकरण करीब 12 करोड रूपये की राशि से कराया गया है जिसमें मरम्मत कार्यों के साथ शौचालय, पेयजल, बरसात के पानी को एकत्रित करने के लिए हार्वेस्टिंग टैंक, रीचार्ज कुए, वृक्षारोपण एवं विद्यालय में सभी आवश्यक सुविधाओं के साथ शिक्षा को केन्द्र बिन्दु में रखकर सौंदर्यकरण के कार्य कराए गए है। इसी प्रकार सीएसआर फण्ड से औद्योगिक इकाइयों द्वारा करीब 450 विद्यालयों के भवन का कायाकल्प किया गया है। इन स्कूलों में हुए बदलाव को इस बात से जाना जा सकता है कि तत्कालीन संभागीय आयुक्त ने इनमें से एक सरकारी स्कूल का निरीक्षण किया और राज्य सरकार के दो वर्ष पर आयोजित कार्यक्रम में सार्वजनिक रूप से कहा कि मैंने अपने जीवन में इतने सुन्दर और व्यवस्थित सरकारी स्कूल कहीं नहीं देखे। संस्था छात्रों को डिजीटल साक्षरता का भी ज्ञान दे रही है जिससे अलवर जिले के स्कूल पूरे देश में चर्चा में आए हैं और अन्य संस्था भी भी पे्ररित हुई हैं।

एजुकेशन एक्सप्रेस से लगे शिक्षा को पंख
इन स्कूलों के सौन्दर्यकरण कार्यों में संस्था का तकनीकी रूप से सहयोग 2008 में सर्व शिक्षा अभियान में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थापित कनिष्ठ अभियन्ता श्री राजेश लवानिया द्वारा स्कूल भवन एवं परिसर को चाइल्ड फ्रेंडली और आकर्षक बनाना प्रारम्भ किया, भवन को ही सीखने-सिखाने के लिए तैयार कराया तो नामांकन में अभूतपूर्व वृद्धि देखने को मिली सर्व शिक्षा अभियान से चाइल्ड फ्रेंडली सरकारी स्कूल जैसे विद्यालय भवन को पेन्ट कराकर एजुकेशन एक्सप्रेस का नाम दिया गया। वहीं क्लास रूम को हवाई जहाज एवं पानी के जहाज (क्रूज) के रूप में बनवाया गया। स्वच्छता के संबंध में जागरूकता हेतु शौचालयों को स्वच्छता वाहिनी के रूप में बनाया गया।

India Edge News Desk

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