न्यायपालिका में होना चाहिए आदिवासियों के लिए आरक्षण : हेमंत सोरेन

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क

रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने न्यायपालिका में आदिवासियों के लिए आरक्षण की मांग की है। उन्होंने रांची में झारखंड हाईकोर्ट की नई बिल्डिंग के उद्घाटन समारोह के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की मौजूदगी में यह मुद्दा उठाया। सोरेन ने कहा कि झारखंड में सुपीरियर ज्यूडिशियल सर्विस में आदिवासी समुदाय की संख्या नगण्य है। यह चिंता का विषय है। सोरेन ने कहा कि सुपीरियर ज्यूडिशियल सर्विस में नियुक्ति प्रक्रिया में आरक्षण का प्रावधान नहीं रखा गया है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश भी इसी सेवा से नियुक्त किए जाते हैं, इसलिए झारखंड में भी इस समुदाय के न्यायाधीश नहीं हैं। झारखंड आदिवासी बहुल्य राज्य है। यहां आरक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि इस समुदाय के लोग भी सुपीरियर ज्यूडिशियल सर्विस में नियुक्ति पा सकें। सोरेन ने झारखंड में छोटे-छोटे मामलों में बड़ी संख्या में गरीब, आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यक एवं कमजोर वर्ग के लोगों के जेल में बंद रहने पर गंभीर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि “हमारी सरकार ने गत वर्ष ऐसे मामलों की सूची तैयार कराई, जो अनुसंधान पूरा न होने से पांच वर्षो से अधिक समय से पेंडिंग हैं। उनकी संख्या 3600 थी। एक अभियान चलाकर इनमें से 3400 मामलों का निष्पादन कराया है।” मुख्यमंत्री ने न्यायालयों के कार्यो का निष्पादन स्थानीय भाषाओं में किए जाने की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि इससे न्याय के मंदिरों और आमजनों के बीच की दूरी कम हो सकेगी। न्यायिक पदाधिकारियों और सहायक लोक अभियोजकों के लिए भी कम से कम एक स्थानीय भाषा सीखना अनिवार्य किया जाना चाहिए, ताकि न्याय को और सुलभ बनाया जा सके।
(जी.एन.एस)

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.
Back to top button