स्व-रोजगार स्थापित कर न केवल स्वयं आत्म-निर्भर बन रही हैं, अपितु बहुत से परिवारों को रोजगार प्रदान कर रही हैं महिलाएँ

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क

भोपाल : प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में स्व-सहायता समूहों के रूप में संगठित महिलाएँ स्व-रोजगार स्थापित कर न केवल स्वयं आत्म-निर्भर बन रही हैं, अपितु बहुत से परिवारों को रोजगार प्रदान कर रही हैं। मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की सहायता से समूह का गठन, आर्थिक सहायता, तकनीकी व कौशल प्रशिक्षण प्राप्त कर ये महिलाएँ अपना कार्य दक्षता के साथ कर रही हैं।

नर्मदापुरम जिले के माखन नगर एवं सोहागपुर विकासखंडों में 120 महिला स्व-सहायता समूह का कलस्टर बनाकर नाबार्ड के सहयोग से हाईटेक सिलाई सेंटर्स की स्थापना की गई है। इनमें महिलाओं द्वारा लोवर, केपरी, बरमूडा, पेटीकोट, सलवार-सूट आदि परिधान तैयार किये जा रहे हैं। महिलाओं के संकुल स्तरीय संघ बनाये गये हैं और उन्हें तकनीकी प्रशिक्षण व वित्तीय सहयोग प्रदान किया जा रहा है। उनके उत्पाद स्थानीय एवं जिला बाजार में विक्रय होने के साथ ही आजीविका मार्ट पोर्टल द्वारा ऑनलाइन भी बिक रहे हैं।

कृषि एवं मुर्गी पालन से आय

विदिशा जिले के सिरोंज विकासखंड के ग्राम चौडा़खेड़ी के जानकी मईया स्व-सहायता समूह की श्रीमती श्याम बाई कृषि एवं मुर्गी पालन के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं। वे प्रति माह 12 से 15 हजार रूपये महीने की आय प्राप्त कर रही हैं। उन्हें चक्रीय निधि, सामुदायिक निवेश निधि और बैंक लिंकेज से व्यवसाय के लिये पर्याप्त राशि मिल जाती है। वे अपने साथ ही अन्य 10 स्व-सहायता समूह की महिलाओं को भी कृषि एवं मुर्गी पालन में सहायता कर रही हैं। इसी प्रकार ग्राम महुआखेड़ा बिल्लोची के जय गुरूदेव स्व-सहायता समूह की महिला श्रीमती पिस्ता बाई किराना एवं डेयरी का कार्य कर पर्याप्त आमदनी ले रही हैं।

फूल दीदी बन रही हैं सबके लिये प्रेरणा

देवास जिले के उदय नगर में रहने वाले फूलवती दीदी आस-पास के 30-35 गाँवों में स्व-रोजगार की प्रेरणा बन रही हैं। उन्होंने इन ग्रामों में 96 स्व-सहायता समूहों के माध्यम से एक हजार महिलाओं को जोड़ा है। यह महिलाएँ किराना, आटा चक्की, मुर्गी पालन, बकरी पालन, भैंस पालन, फलदार बाड़ी, बिजली दुकान, चाय दुकान, नल-जल संचालन जैसा अनेक गतिविधियाँ कर रही हैं। उनके प्रयासों से 74 समूहों को चक्रीय राशि और 45 समूहों को सीआईएफ एवं बैंक क्रेडिट लिंकेज से विभिन्न व्यवसायों के लिये वित्तीय सहायता मिली है। समूह से जुड़ी सभी महिलाओं को प्रतिमाह 10 हजार रूपये से अधिक मासिक आय हो जाती है। ग्राम सुनवानी गोपाल के श्रीकृष्णा आजीविका समूह की श्रीमती निर्मला बरोलिया ने कई स्व-सहायता समूहों को मिलाकर विजयागंज मंडी फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड बनाई है, जिसकी वे डायरेक्टर हैं। कंपनी आलू व्यवसाय के माध्यम से अच्छी आमदनी प्राप्त कर रही है।

औषधीय पौधों की नर्सरी

उमरिया जिले के ग्राम करोंदी टोला के दुर्गा स्व-सहायता समूह की महिलाएँ औषधीय पौधों की नर्सरी का कार्य कर रही हैं। समूह सदस्य श्रीमती पुष्पा कुशवाह ने बताया कि समूह ने ग्राम डोंडका में औषधीय पौधों की खेती के लिये 2 एकड़ जमीन का चयन किया और उस जमीन पर महिलाओं द्वारा नर्सरी तैयार की गई। नर्सरी में कालमेघ, अश्वगंधा, काली तुलसी, शतावर, ओडीसी मुनगा आदि प्रजातियाँ लगाई गई हैं। ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा उनके औषधीय उत्पादों के विक्रय की व्यवस्था भी की जा रही है।

अहिल्या दीदी बनी हैं पर्यटन गाइड

उमरिया जिले के ही ग्राम परासी के राधा स्व-सहायता समूह की अहिल्या दीदी आजीविका मिशन के माध्यम से पर्यटन गाइड का प्रशिक्षण प्राप्त कर हिन्दी और अंग्रेजी में सैलानियों को बांधवगढ़ नेशनल पार्क में जानकारी दे रही हैं। वे बीएससी, बीएड और एमसीए शिक्षा प्राप्त हैं। आरसेटी से प्राप्त प्रशिक्षण में उन्हें नेशनल पार्क में पाये जाने वाले वन्य जीवों की आदत और व्यवहार, साथ ही एतिहासिक धरोहरों के संबंध में भी जानकारी दी गई है। इस कार्य से वे अच्छी आमदनी ले रही हैं।

India Edge News Desk

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