कोर्ट ने महिला की भरण-पोषण की याचिका यह कहते हुए खारिज किया की पत्नी के पास ने पति से अलग रहने का कोई पर्याप्त वैधानिक कारण नहीं

इंदौर
कुटुंब न्यायालय ने एक महिला की तरफ से लगाई गई भरण-पोषण की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि पत्नी के पास अपने पति से अलग रहने का कोई पर्याप्त वैधानिक कारण नहीं है. इसलिए वह भरण-पोषण पाने की अधिकारी नहीं है. हालांकि धीरेंद्र सिंह की कोर्ट ने अवयस्क बच्चों को भरण-पोषण दिए जाने के आदेश दिए हैं.

अधिवक्ता डॉ. रूपाली राठौर ने कहा कि अदालत ने अपने फैसले में एक तरह ये माना कि पत्नी स्वयं का भरण पोषण करने में सक्षम नहीं है और पति अपनी पत्नी का भरण पोषण करने में उपेक्षा कर रहा है. लेकिन दूसरी तरफ़ ये भी माना कि पत्नी के पास अपने पति से अलग रहने का कोई पर्याप्त वैधानिक कारण नहीं है.

महिला ने मई 2022 में पति के खिलाफ थाने में दर्ज कराई थी शिकायत

बताया कि सुलोचना(परिवर्तित नाम) का विवाह सन 2013 में अमन(परिवर्तित नाम) से हुआ था. सन 2022 में सुलोचना ने पति के खिलाफ विवाह के बाद से ही कम दहेज लाने को लेकर ताने मारना, पांच लाख रुपये दहेज की मांग करना, गाली-गलौच व मारपीट करना, डिलीवरी का खर्चा उठाने से मना करने, घर से निकालने को लेकर मई 2022 में पुलिस थाने में शिकायत की.

जिसके आधार पर पत्नी ने स्वयं और बच्चों के लिए पति से भरण-पोषण की मांग करते हुए कुटुंब न्यायालय, इन्दौर में याचिका लगाई. पति की और से जवाब पेश करते हुए वकील कृष्ण कुमार कुन्हारे ने कोर्ट को बताया कि पत्नी ने झूठे आधारों पर केस लगाया था. कोर्ट में पत्नी के बयानों एवं पति के वकील के द्वारा पत्नी से पूछे गये सवाल-जवाब के दौरान महत्वपूर्ण बातें उजागर हो गईं.

कोर्ट ने माना कि पत्नी खुद और अवयस्क बच्चे का भरण-पोषण करने में सक्षम नहीं है

कुटुंब न्यायालय ने अपने फैसले में यह तो माना कि पत्नी खुद और अवयस्क बच्चे का भरण-पोषण करने में सक्षम नहीं है. और पति भरण -पोषण करने में उपेक्षा कर रहा है. लेकिन माननीय न्यायालय में अपने फैसले में यह भी कहा कि पत्नी ने 2013 में शादी के पश्चात कोई शिकायत नहीं की. पत्नी ने सिर्फ मई 2022 में मामले की शिकायत दर्ज कराई. मई 2022 के पूर्व पत्नी द्वारा प्रताड़ना की कोई रिपोर्ट क्यों नहीं की गई.

महिला द्वारा इसका स्पष्टीकरण नहीं देने पर कोर्ट ने विवाह के बाद पैसों के लिए उसको परेशान करने के बयानो को संदेहास्पद माना. ये महत्वपूर्ण फैसला उनके लिए नजीर है जो बिना पर्याप्त वैधानिक कारण पति से अलग रहती हैं और कोर्ट में ख़ुद के भरण-पोषण के लिए गलत आधार पर केस लगाती हैं.

India Edge News Desk

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