चीन से दोस्ती पाक की “जी का जंजाल”, यूरोप में बैन हो सकती है बासमती, क्या है मामला

नई दिल्ली
 पाकिस्तान की बासमती पर यूरोप में सवाल उठ रहे हैं। पाकिस्तान से भेजी गई ऑर्गेनिक बासमती की एक खेप में जर्मनी में जेनेटिकली मॉडिफाइड चावल पाया गया है। यूरोपीय यूनियन की जांच में यह बात सामने आई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हाल में जारी एक अलर्ट में कहा गया है कि नीदरलैंड के जरिए बासमती की यह खेप जर्मनी पहुंची थी। जर्मनी और लग्जमबर्ग में सरकारी प्रयोगशालाओं में जांच के दौरान पाकिस्तान से आई बासमती में जेनेटिकली मॉडिफाइड चावल पाया गया है। इससे भारत को ईयू में बासमती चावल की एक्सक्लूसिव मार्केटिंग के लिए जीआई टैग मिलने में मदद मिल सकती है। भारत में जुलाई 2018 में इसके लिए आवेदन किया था जबकि पाकिस्तान ने भी इस साल की शुरुआत में इसके लिए याचिका डाली थी।

जून 2021 में भारत से भेजी गई चावलों की एक खेप में भी 500 टन जीएम राइस पाया गया था लेकिन वह बासमती चावल नहीं था। एक बार जीएम के अंश कमर्शियल बीजों में आ जाते हैं तो उसे साफ करना मुश्किल होता है। अमेरिका के चावल उद्योग को LibertyLink GM चावल से छुटकारा पाने में 10 साल का समय लग गया था। जानकारों का कहना है कि चीन के वैज्ञानिक पाकिस्तान में जीएम राइस की वेराइटीज पर प्रयोग कर रहे हैं। शायद वहीं से यह बासमती में आया होगा। यूरोपियन यूनियन जीएम प्रॉडक्ट्स को लेकर काफी संवेदनशील है। बासमती की खेप में जीएम राइस मिलना इस बात का संकेत हैं कि पाकिस्तान से एक्सपोर्ट के दौरान सर्विलांस में कमी है। इससे यूरोप नियमों को सख्त कर सकता है।

सोना मसूरी ब्राउन का एक्सपोर्ट

इस बीच हिंदू बिजनसलाइन की एक रिपोर्ट के मुताबिक एगटेक स्टार्टअप स्वस्थ ईकोहारवेस्ट देश से सोना मसूरी ब्राउन चावल की पहली खेप यूरोप को भेजने की तैयारी कर रहा है। कंपनी का कहना है कि सबकुछ सही रहा तो इस महीने के अंत तक इसकी पहली खेप यूरोप भेजी जा सकती है। इस चावल को एआई कंट्रोल्ड क्वालिटी कंट्रोल प्रोग्राम के तहत तमिलनाडु में उगाया जा रहा है। अगले पांच साल में 1.5 लाख टन चावल निर्यात का लक्ष्य है।

 

India Edge News Desk

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