याकूब हबीबुद्दीन तुसी ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव को लिखा पत्र, औरंगजेब के मकबरे की सुरक्षा सुनिश्चित कीजिए

मुंबई
मुगल साम्राज्य के अंतिम सम्राट बहादुर शाह जफर के वंशज होने का दावा करने वाले याकूब हबीबुद्दीन तुसी ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर (पूर्व में औरंगाबाद) में स्थित औरंगजेब की कब्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है। यह मांग उस हिंसा के लगभग एक महीने बाद सामने आई है, जो नागपुर में औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग वाली एक रैली के दौरान भड़क उठी थी।

याकूब तुसी खुद को औरंगजेब की कब्र वाली वक्फ संपत्ति का मुतवल्ली भी बताते हैं। उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि यह कब्र एक राष्ट्रीय महत्व का स्मारक है और इसे प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत संरक्षित किया गया है। उन्होंने पत्र में लिखा, "उक्त अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, संरक्षित स्मारक के पास या आसपास कोई अनधिकृत निर्माण, परिवर्तन, विनाश या उत्खनन नहीं किया जा सकता, और ऐसा कोई भी कार्य अवैध माना जाएगा और कानून के तहत दंडनीय होगा।"

नागपुर में हिंसा और विवाद की पृष्ठभूमि
यह मामला तब और सुर्खियों में आया जब 17 मार्च को नागपुर में औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर एक रैली के दौरान हिंसा भड़क गई। इस दौरान कुछ समूहों ने कब्र को हटाने की मांग की, और अफवाहें फैलीं कि एक समुदाय की पवित्र पुस्तक को जलाया गया, जिसके बाद पुलिस पर पथराव हुआ। इस घटना के बाद अब तक 92 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस विवाद को और हवा तब मिली जब समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी ने औरंगजेब को "क्रूर शासक" नहीं मानने और उसके शासनकाल में कई मंदिरों के निर्माण का दावा किया। हालांकि, बाद में उन्होंने अपने बयानों को गलत समझे जाने का हवाला देते हुए वापस ले लिया। इसके बावजूद, भाजपा सांसद उदयनराजे भोसले ने कब्र को ध्वस्त करने की मांग उठाई और औरंगजेब को "चोर और लुटेरा" करार दिया।

संयुक्त राष्ट्र से हस्तक्षेप की मांग
याकूब तुसी ने अपने पत्र में संयुक्त राष्ट्र महासचिव से इस मामले पर संज्ञान लेने और भारत सरकार तथा पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) को निर्देश देने की अपील की है कि औरंगजेब की कब्र को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार पूर्ण कानूनी संरक्षण, सुरक्षा और संरक्षण प्रदान किया जाए। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत ने यूनेस्को की विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर संरक्षण संधि, 1972 पर हस्ताक्षर किए हैं, और ऐसे स्मारकों का विनाश या उपेक्षा अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का उल्लंघन होगा। तुसी ने अपने पत्र में कहा, "फिल्मों, मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से ऐतिहासिक तथ्यों का गलत चित्रण करके जनता की भावनाओं को भड़काया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप अनुचित विरोध, नफरत अभियान और प्रतीकात्मक आक्रामकता जैसे कि पुतले जलाने की घटनाएं हो रही हैं।" उन्होंने कब्र की स्थिति पर चिंता जताते हुए वहां सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की मांग भी की।

औरंगजेब की कब्र और उसका ऐतिहासिक महत्व
औरंगजेब 1658 से 1707 तक मुगल साम्राज्य का छठा सम्राट था। उसकी खुलदाबाद में एक साधारण कब्र है, जो अन्य मुगल सम्राटों की भव्य मकबरों जैसे ताजमहल या हुमायूं के मकबरे से बिल्कुल अलग है। औरंगजेब ने अपनी इच्छा के अनुसार, अपने आध्यात्मिक गुरु शेख जैनुद्दीन शिराजी के दरगाह के पास एक साधारण कब्र में दफन होने का निर्देश दिया था। उसकी कब्र को लॉर्ड कर्जन ने बाद में संगमरमर से ढकवाया और इसके चारों ओर एक जालीदार स्क्रीन बनवाई।

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Back to top button