चरम पर है भ्रष्टाचार

पिंकी सिंघल

आचरण यदि नापाक़ हो, अशुद्ध और अस्वीकार्य हो ,तो वह भ्रष्टाचार की श्रेणी में आने लगता है। भ्रष्टाचार ,जैसा कि शब्द से ही इसका अर्थ समझ आ रहा है ,अर्थात जब हमारे व्यवहार में सच्चाई न रहे और हम झूठ ,पाखंड और दंभ का सहारा लेकर जीवन में कुछ हासिल करने की होड़ में शामिल हो जाते हैं, तो यह आचरण भ्रष्ट आचरण कहलाता है। भ्रष्टाचार किसी क्षेत्र विशेष में ही हो ,यह आवश्यक नहीं ।विभिन्न क्षेत्रों में अक्सर भ्रष्टाचार के मामले सामने आते हैं और भ्रष्टाचार साबित हो जाने के बाद भ्रष्टाचारियों को कानूनन सजा और पेनल्टी का प्रावधान भी भारतीय न्याय व्यवस्था में रखा गया है।

किंतु, इतने सब प्रावधान के होने के बावजूद भी देश में भ्रष्टाचार अपने चरम पर है और खूब फल-फूल रहा है, पोषित हो रहा है।महंगाई की ही तरह भ्रष्टाचार भी एक संक्रामक बीमारी की भांति फैलता जा रहा है और देश की जड़ों को खोखला कर रहा है।

उफ्फ ये बढ़ती महंगाई
हाय जानलेवा ये भ्रष्टाचार
शरीर और दिमाग दोनों को
बना रहे ये कितना बीमार

शिक्षा के क्षेत्र की यदि बात करें ,तो शिक्षण संस्थानों में दाखिले से लेकर परीक्षा परिणाम तक में भ्रष्टाचार व्याप्त है ,जहां भ्रष्टाचारी पैसे की ताकत के सामने झुकता है और अपने सभी नैतिक मूल्यों को भुला देता है। राजनीति के क्षेत्र में हमारे राजनेता देश को बेचने पर आमादा हैं।वे सभी अपने व्यक्तिगत स्वार्थों की पूर्ति करने हेतु किसी भी हद तक गिर सकते हैं क्योंकि उन्हें देश और समाज से कोई सरोकार नहीं होता। राजनीति में आने के बाद वे अपना और अपनों का घर भरने लगते हैं, और समाज व देशहित की उपेक्षा करने लगते हैं,जिसका दुष्प्रभाव अर्थव्यवस्था के गिरने के रूप में दृष्टिगत होता है। इस संदर्भ में मेरी ये पंक्तियां सार्थक प्रतीत होती हैं:

सबको बस अपने घर भरने हैं
जीजा साले सब फिट करने हैं
स्वार्थ को इन्होंने चढ़ा आकाश में
अर्थव्यवस्था कर दी पूरी बेकार

निसंदेह, भ्रष्टाचार स्लो पोइज़निंग की भांति देश की तरक्की के आड़े आ रहा है और अपना विष घोल कर देश की प्रगति में सीलन लगाने का काम कर रहा है ।भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी अधिक फैल गई हैं कि वर्तमान में देश का हर दूसरा व्यक्ति चाहे वह किसी भी तबके से संबंध रखता हो ,किसी भी कार्य को करने से पहले उसके दिमाग में अच्छाई की जगह भ्रष्टाचारी होने की तरकीबें आने लगती हैं और वह कम समय में अधिक मुनाफा कमाने की रणनीतियां बनाने लगता है,फिर चाहे इस प्रक्रिया में देश और समाज का नुकसान ही क्यों ना होता हो।

देश में भ्रष्टाचार यदि इसी गति से बढ़ता रहा तो कहीं ऐसा ना हो कि हमारा देश विकासशील देशों से अल्प विकसित देशों की श्रेणी में आ जाए। यदि समय रहते भ्रष्टाचार पर सरकारी एजेंसियों के साथ-साथ विभिन्न गैर सरकारी संस्थाओं एवं जन कल्याणकारी संस्थाओं द्वारा लगाम नहीं कसी गई ,तो वह दिन दूर नहीं जब भारत, जिसे सदियों से सोने की चिड़िया और विश्व गुरु के नाम से पहचाना जा रहा है ,जाना जा रहा है, वही भारत बहुत जल्द विश्व के सबसे भ्रष्ट राष्ट्र के रूप में गिना जाने लगेगा।

अपने देश को विकसित, स्वस्थ,समर्थ तथा सशक्त राष्ट्र बनाने में हम सभी भारतीयों को निज संकीर्ण मानसिकता का त्याग करना होगा ,स्वार्थी और दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सोचना होगा,भ्रष्टाचार का जड़ से खात्मा करना होगा और सर्व कल्याण और विश्व बंधुत्व की भावना को तरजीह देते हुए अपने सार्थक प्रयास करने होंगे तथा भारत को प्रगति की राह पर ले जाने में अपना शत प्रतिशत योगदान देना होगा।

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.
Back to top button