किसान आंदोलन : पर्दे के पीछे से राजनीति करने को लेकर किसान नेताओं में गहरे मतभेद
इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
लखनऊ : किसान आंदोलन के नाम पर पर्दे के पीछे से राजनीति करने को लेकर किसान नेताओं में गहरे मतभेद उभर आए हैं। कई दिनों से किसान संगठनों के अंदरखाने सुलग रहा विरोध सतह पर आ गया है। आंदोलन के नाम पर कुछ नेता अपने और अपने परिवार के लिए राजनैतिक जमीन तैयार करने को लेकर आमने-सामने हैं। खास तौर पर किसान नेता राकेश टिकैत के विपक्ष से करीबी संबंध और झुकाव को लेकर कई किसान नेताओं ने अपना विरोध जाहिर कर दिया है।
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के लखनऊ में अवध क्षेत्र के नेताओं ने बैठक करके बड़े नेताओं पर आंदोलन की आड़ में राजनीतिक रोटियां सेकने का आरोप लगाया है। लखनऊ में हुई इस बैठक में भाकियू (टिकैत) के उपाध्यक्ष हरिनाम सिंह ने आरोप लगाया कि कुछ मौजूदा किसान नेता महेन्द्र सिंह टिकैत की विचारधारा के उलट काम कर रहे हैं। किसानों के हित की ना सोचकर वे अपने निजी फायदे के लिए और राजनीतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए काम कर रहे हैं। कई किसान नेताओं ने तो विधानसभा का चुनाव भी लड़ा लेकिन हार गए। उन्होंने कहा कि मैं पिछले 33 साल से भाकियू से जुड़ा हूं। मेरे साथ यूनियन में जितने भी किसान नेता जुड़े थे, वो सब चौधरी साहब (महेंद्र सिंह टिकैत) की अराजनैतिक सोच की वजह से जुड़े थे।
हरिनाम ने कहा कि केन्द्र सरकार कृषि बिलों में किसानों द्वारा बताई गई आपत्तियों को दूर करने को तैयार थी, लेकिन हमारे नेता सही तरीके से अपनी बातों को रख नहीं पाए। वाजिब आपत्तियां बताने में असफल रहे। उन्होंने आरोप लगाया कि हमारे कुछ नेता किसान आंदोलन की आड़ में अपनी राजनीति करते रहे। उन्होंने कहा कि हमारा काम सरकार का विरोध करना नहीं है बल्कि उनकी गलत नीतियों का विरोध करना है। हमारे कुछ नेताओं की नासमझी की वजह से हमने अपने इस आंदोलन में 700 से ज्यादा किसान साथियों को खो दिया। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर प्रस्तावित कमेटी में किसको सदस्य नामित करना है, किसान यूनियन इसका फैसला भी अभी तक नहीं कर पाई है।
हरिनाम सिंह ने कहा कि यूपी और पंजाब के किसानों की माली हालत बिल्कुल ही अलग है। आज की तारीख में यूपी में सरकारी गेहूं क्रय केन्द्रों में 2015 रुपए में खरीद हो रही है, जबकि प्राइवेट आढ़तिये 2100 रुपए दे रहे हैं तो बताइए किसान कहां जाएगा बेचने। जाहिर सी बात है, जहां ज्यादा फायदा होगा, वहीं बेचेगा। हरिनाम सिंह ने मांग की है कि सरकार से हो रही बातचीत में उन किसानों को कमेटी में रखना चाहिए जो खेती किसानी से जुड़े हैं।