रामराज्य को व्यवहार मे बनना चाहिए, तभी संस्कार में बदलाव होगा
इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली। स्वराज्य पीठ के संचालक व प्रख्यात गांधीवादी चिंतक राजीव वोरा ने कहा कि गांधी जी की लड़ाई सिर्फ आजादी की नहीं थी। वह रामराज्य की स्थापना के लिए हर फ्रंट पर लड़ रहे थे। अयोध्या के हनुमत निवास मंदिर के महंत मिथिलेश नंदिनी शरण ने कहा कि गांधी का रामराज्य धार्मिक है, संक्रमित और संकर नहीं। यह वक्ता गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति राजघाट के सत्याग्रह भवन में आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। इसके बाद रामचरित मानस की भाषा विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी की शुरुआत साहित्यकार संदीप जोशी के उद्बोधन से शुरू हुआ। श्री जोशी ने कहा कि रामराज्य को व्यवहार मे बनना चाहिए, तभी संस्कार में बदलाव होगा। उन्होंने मंच से सवाल उठाया कि गांधी का रामराज्य सामाजिक था, राजनीतिक था या आध्यात्मिक। मुख्य वक्ता राजीव वोरा ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि गांधी की लड़ाई सिर्फ आजादी की नहीं थी। आजादी के साथ ही वह रामराज्य की स्थापना के लिए हर फ्रंट पर लड़ रहे थे। श्री वोरा ने कहा कि वास्तव में धर्म से निकलने वाले सत्य को विज्ञान की कसौटी पर कसा जाने लगा। इसके तीन अंग थे। सेक्युलरिज्म, विज्ञान और प्रगति। इसका कारण चेतना का लोप था, जिसके चलते समाज में रामराज्य का बोध नहीं रह गया। सभ्यता बदल गई। हिंदू समाज मूल से इतर देखने लगा। उन्होंने रामराज्य को चेतना का विषय बताया। इसकी उत्पत्ति स्वराज्य से होती है, जो वैदिक काल का शब्द है। गांधी जी का स्वराज्य राष्ट्र को प्राप्त करने की नीयति थी। संस्कृति और आध्यात्मिक यात्रा की नीयति बरकरार रहने से ही रामराज्य की कल्पना संभव है। यही कारण रहा कि देश के हिंदुओं ने इस्लामिक सत्ता तो स्वीकार कर ली लेकिन संस्कृति नहीं और अंग्रेजों की सत्ता नहीं स्वीकारी लेकिन संस्कृति स्वीकार कर ली। उन्होंने कहा कि व्यक्ति नैतिक हो तभी समाज है। परिवेश व्यक्ति को प्रभावित करता है। हिंदू धर्म का उद्भव पुस्तक या अवतार से नहीं हुआ। यह अति गूढ़ सवाल मैं कौन हूं से शुरू हुआ। आत्म साक्षात्कार का ज्ञान ही हिंदू है और रामराज्य की अवधारणा में शामिल है। कहा कि गांधी का रामराज्य स्वाराज्य से बनता है। यही कारण है कि सन् 1927 में जब स्वराज्य शब्द को हटाकर इंडिपेंडेस को कांग्रेस के अधिवेशन में स्वीकार किया गया तो गांधी और नेहरू में जबरदस्त वैचारिक मतभेद हो गए। गांधी का रामराज्य मानव की चेतना में निहित है, जिससे संस्कार उत्पन्न होते हैं, जो पूरे समाज को प्रभवित करते हैं। बताया कि इसका एहसास उन्हें नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में गांधी के विचारों को लोगों में उतारने के लिए आयोजित शिविरों में हुआ। हिंद स्वराज्य पुस्तक गांधी जी के जीवन का ब्लू प्रिंट है, जो गांधी के रामराज्य का आधार है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे अयोध्या के हनुमत निवास के महंत मिथिलेश नंदिनी शरण ने कहा कि गांधी जी ने आधुनिकता के बीच संस्कार की स्थापना की। उन्होंने विभिन्न धर्म ग्रंथों के जरिए रामराज्य और गांधी के रामराज्य की संकल्पना को व्यख्यायित किया। कहा कि रामराज्य त्याग का संस्कार है। राम इसके उदाहरण हैं। रामराज्य की स्थापना राम ने नहीं भरत ने की। राम ने अयोध्या का राज्य त्याग दिया तो भरत ने पिता से प्रदान किए गए राज्य को राम का मानते हुए उस सिंहासन को त्याग दिया। रामराज्य की संकल्पना की व्याख्या करते हुए महंत श्री ने कहा कि रामराज्य के लिए स्व-हित को छोड़ समाज के प्रति अपने कर्तव्य और दयित्व का निर्वहन करना पड़ता है। ऐसे बहुत से मौके आए, जहां राम को अपने सभी हितों को छोड़ समाज को प्रमुखता देनी पड़ी। रामराज्य वह है, जहां सबके अधिकार के साथ कर्तव्य निहित हों। गांधी जी ने इस परंपरा को विश्व में लोकायित किया। वह ऐसे पहले व्यक्ति थे, जो राम से शुरु होकर राम पर ही खत्म होते हैं। गांधी रामराज्य की स्थापना के लिए राम के साथ ही चलते हैं। बराबरी के बजाए यथायोग्य बंटवारा ही रामराज्य की अवधारणा है। कहा कि अपने सुख के त्याग के जरिए ही रामराज्य की स्थापना की जा सकती है। गांधी जी के रामराज्य में तीन शब्द महत्वपूर्ण हैं, प्रेम करुणा व सत्य। उन्होंने लोगों का आह्नन किया कि वह रामराज्य के मूल सिद्धांतों को आत्मसात करने की कोशिश करें, यही अयोध्या पर्व की सार्थकता है।
इसके बाद रामचरित मानस की भाषा विषय पर आयोजित गोष्ठी में अयोध्या के तिवारी मंदिर के महंत गिरीश पति त्रिपाठी, मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार मधुकर उपाध्याय, जेएनयू के प्रोफेसर ज्ञानेंद्र संतोष, जामिया मिलिया इस्लामिया की डा. कंचन भारद्वाज ने अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री सतीश शर्मा, विहिप के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज, देवेंद्र राय, राकेश सिंह, विकास सिंह, भाजपा जिलाध्यक्ष अयोध्या संजीव सिंह, कमला शंकर पांडेय, अवधेश पांडेय, गोकरन द्विवेदी सहित अन्य लोग मौजूद रहे।