सरकारी योजनाओं की आड़ में बैंक को लगाया करोड़ों रुपये का चूना, मैनेजर के संरक्षण में होता था 'काला कारोबार'
जबलपुर में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के मैनेजर ने विभिन्न योजनाओं के नाम पर लोन लेकर बैंक को 6 करोड़ 90 लाख रुपये का चूना लगाया है. इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू कर रही है
जबलपुर : मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में एक सरकारी बैंक को प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना की आड़ में फर्जी आवेदकों के नाम पर करीब 7 करोड़ रुपये का चूना लगाने का मामला सामने आया है. इसमें आरोपियों के साथ बैंक मैनेजर की भी मिली भगत थी. राज्य आर्थिक अपराध ब्यूरो ने आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और धोखाधड़ी की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
ईओडब्ल्यू एसपी आरडी भारद्वाज के मुताबिक, जबलपुर शहर के विजय नगर स्थित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के तत्कालीन मैनेजर ने दो अन्य लोगों के साथ मिलकर फर्जीवाड़ा किया है. मैनेजर ने कई योजनाओं के नाम पर लोन निकालकर बैंक को 6 करोड़ 90 लाख रुपये की चपत लगाई है. इस मामले की शिकायत मिलने पर ईओडब्ल्यू ने तत्कालीन बैंक मैनेजर कमल मिश्रा के अलावा ट्रेडिंग कंपनी संचालिका रेखा नायक और सुरेश मतानी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और धोखाधड़ी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
कई योजनाओं के नाम पर लिया लोन
भारद्वाज ने बताया कि यूनियन बैंक ऑफ इंडिया नेपियर टाउन के उप क्षेत्रीय प्रमुख अमित श्रीवास्तव ने 1 अगस्त 2023 को ईओडब्ल्यू से बैंक के साथ करोड़ों की धोखाधड़ी किए जाने की शिकायत की थी. शिकायत की प्रारंभिक जांच में पता चला कि तत्कालीन बैंक मैनेजर कमल मिश्रा ने दलाल सुरेश मतानी और रेखा नायक के साथ मिलकर बैंक को 6 करोड़ 90 लाख की चपत लगाई है. ईओडब्ल्यू द्वारा मामला दर्ज कर उन लोगों को नोटिस जारी कर तलब किया गया है, जिनके नाम के दस्तावेजों का दुरुपयोग कर कई योजनाओं के नाम पर लोन निकाला गया है।
क्या है पूरा मामला?
वहीं जांच में इस बात का खुलासा हुआ कि तत्कालीन प्रबंधक कमल मिश्रा द्वारा पीएमईजीपी योजना के तहत आटा मिल खोलने के नाम पर रेखा नायक का 10 लाख 45 हजार रुपये का लोन और 13 लाख 30 हजार रुपए का कैश क्रेडिट स्वीकृत किया गया था. रेखा ट्रेडिंग कंपनी की प्रोपराइटर सराफा रेखा नायक द्वारा मंडला के ग्राम डोभी में आटा मिल खोलने के नाम पर लोन स्वीकृत कराया गया था. ईओडब्ल्यू की टीम जब वहां पहुंची, तो वहां कोई मिल ही नहीं थी।
बैंक को लगाई करोड़ों की चपत
जांच में खुलासा हुआ कि जिस स्थान पर मिल खोलने के लिए लोन स्वीकृत किया गया था, वह यूनियन बैंक की विजय नगर शाखा के अधिकार क्षेत्र से बाहर था. ईओडब्ल्यू की जांच में इस बात का खुलासा हुआ कि तत्कालीन बैंक प्रबंधक, दलाल सुरेश मतानी और रेखा नायक ने मिलीभगत करके लोन दिलाने के नाम पर कई लोगों के दस्तावेज और आधार कार्ड लिया. इसके बाद उन्हीं दस्तावेजों का दुरुपयोग कर पीएमईजीपी योजना के तहत 25-25 लाख का लोन और 10 लाख का मुद्रा लोन बैंक से स्वीकृत कराते हुए बैंक को करोड़ों की चपत लगाई।